वसंत ऋतु निबंध | बसंत ऋतु | Basant Ritu Essay in Hindi
ऋतुओं में सर्वश्रेष्ठ वसंत ऋतु की महिमा का जितना गुणगान किया जाए उतना कम है। प्रकृति की सुंदरता का दर्शन यदि हमें करना हो तो बसंत ऋतु में हम कर सकते हैं। वसंत ऋतु की इसी महिमा को हम निबंध के द्वारा आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं।
अनुक्रम
वसंत ऋतु निबंध (150 शब्द)
प्रकृति का अगर सौन्दर्य देखना है तो वसंत ऋतु में देखिये, इस ऋतु के समय प्रकृति अपनी सुंदरता के चरम पर होती है। वसंत ऋतु का आगमन फरवरी से लेकर अप्रैल के मध्य में होता है। भारत में छह मुख्य ऋतुओं में वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है।
इस ऋतु के दौरान पेड़ों में नए पत्ते आ जाते हैं, किसानों की फसल पक जाती है और यह समय फसल काटने का होता है, फूलों में नयी कलियाँ खिलने लगतीं हैं, पक्षी बाग-बगीचों में कलरव करने लगते हैं, लोग खुशनुमा मौसम का आनंद लेने के लिए घूमने निकल जाते हैं। इस ऋतु में मौसम बड़ा सुहावना होता है।
कड़ी सर्दी के मौसम के बाद वसंत ऋतु का आगमन होता है, इस समय ना ही अधिक गर्मी पड़ती है और ना ही अधिक सर्दी इसलिए मौसम अत्यंत सुखद होता है और सभी के लिए आनंददायक होता है।
वसंत ऋतु के समय ही वसंत पंचमी, होली और शिवरात्रि त्योहारों को मनाया जाता है। संतुलित मौसम होने के कारण वसंत ऋतु सबकी प्रिय ऋतु होती है।
वसंत ऋतु निबंध (200 शब्द)
वसंत ऋतु भारत की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है जिसका आगमन फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने के मध्य में होता है। इस ऋतु के आते ही प्रकृति अपने सबसे सुंदर रूप में आ जाती है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति का सौन्दर्य देखते ही बनता है। हिन्दू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारम्भ भी वसंत ऋतु में होता है। वसंत ऋतु सर्दी के मौसम के बाद आती है इसलिए इस ऋतु के आते ही ठंड कम हो जाती है। पेड़ों में नए हरे-हरे पत्ते आ जाते हैं, आम के पेड़ नयी बौरों से लद जाते हैं, खेतों में सरसों के पीले-पीले फूल दिखाई देते है और पुष्पों की कलियाँ खिलने लगतीं हैं।
वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है क्यूंकी इस समय मनुष्य, पशु पक्षी, पेड़-पौधे सभी नयी ऊर्जा, नया उत्साह और तरो-ताजा मौसम का आनंद लेते हैं। इस ऋतु में वातावरण अत्यंत सुखद और ताजा होता है। शिवरात्रि, होली का त्योहार भी वसंत ऋतु में ही आता है। इस ऋतु को वसंत पचमी उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
वसंत ऋतु का आनंद सभी लेते हैं, लोग अपने घरों से निकलकर बाग-बगीचों में सैर करने निकल पड़ते हैं, पक्षी मधुर गुंजन करते हैं, पेड़ हरे-भरे हो जाते हैं, पुष्प वातावरण में अपनी सुगंध फैलाकर माहोल खुशनुमा कर देते हैं। मुझे भी वसंत ऋतु बहुत प्रिय है।
वसंत ऋतु निबंध (300 शब्द)
वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है और इसका आगमन फरवरी, मार्च और अप्रैल माह के मध्य में होता है। इस ऋतु के दौरान प्रकृति चारों तरफ अपनी सुंदरता को बिखेरती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह ऋतु माघ महीने की शुक्ल पंचमी से प्रारम्भ होती है और फाल्गुन व चैत्र मास वसंत ऋतु के माने गए हैं। होली, शिवरात्रि और वसंत पंचमी जैसे त्योहार भी वसंत ऋतु के समय मनाए जाते हैं।
वसंत ऋतु का आगमन शीत ऋतु के बाद होता है और इस समय सर्दी भी कम हो जाती है और अधिक गर्मी का एहसास भी नहीं होता। एक तरह से इस ऋतु में मौसम संतुलित होता है, ना ही अधिक गर्मी और ना ही अधिक सर्दी।
वसंत ऋतु में मौसम बड़ा ही सुहाना लगता है इसलिए सभी को यह ऋतु प्रिय है। वसंत ऋतु में पेड़ों में नए हरे-हरे पत्ते आते हैं, मैदान हरी-हरी घास से आच्छादित हो जाते हैं, फूलों में कलियाँ फूटने लगतीं है और चारों तरफ फूलों की खुशबू महकने लगती है, खेतों में सरसों की फसल पक जाती है जिसमे पीले-पीले फूल आ जाते हैं, पक्षी मधुर स्वर से कलरव करते हैं और लोग इस मौसम का आनंद लेने के लिए घूमने निकल पड़ते हैं।
वसंत ऋतु के दौरान चारों तरफ एक उत्सव का माहौल हो जाता है, सभी आनंदमय होकर प्रकृति की खूबसूरती को निहारते हैं, एक नयी ऊर्जा, एक नयी चेतना के साथ सभी तरो-ताजा महसूस करते हैं
पुराणों की कथाओं के अनुसार वसंत को कामदेव का पुत्र माना गया है। भगवान कृष्ण ने गीता में वसंत ऋतु का वर्णन करते हुये कहा है की ऋतुओं में मैं वसंत ऋतु हूँ।
वसंत ऋतु में प्रकृति अपनी सोलह कलाओं से खिल उठती है, प्रकृति का यौवन हमें वसंत ऋतु में देखने को मिलता है। सभी जीवों, पेड़-पौधों को यह ऋतु अपनी ओर आकृष्ट करती है।
वसंत ऋतु निबंध (400 शब्द)
वसंत ऋतु में प्रकृति अपने उत्कृष्ट सौन्दर्य में होती है अतः इस ऋतु को छह ऋतुओं में से सर्वश्रेष्ठ ऋतुओं का राजा कहा गया है। प्रकृति की वास्तविक सुंदरता हमें वसंत ऋतु में देखने को मिलती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन माघ महीने की शुक्ल पंचमी से होता है। यह ऋतु फरवरी, मार्च और अप्रैल में मध्य में प्रारम्भ होती है।
रामायण में वसंत ऋतु का सुंदर चित्रण किया गया है, भगवान श्री कृष्ण गीता में स्वयं को वसंत ऋतु बताते हैं, कवि जय देव ने तो वसंत ऋतु का वर्णन अपनी सुंदर कविताओं से किया है।
वसंत ऋतु के समय मौसम बड़ा ही सुहावना होता है और मनुष्य, पशु-पक्षी सभी को अपनी ओर आकृष्ट करता है। विकट शीत ऋतु के समाप्त होने के बाद और गर्मी शुरू होने से पहले वसंत का आगमन होता है अतः इस समय मौसम संतुलित होता है और सभी प्राणियों के लिए सुखद होता है।
वसंत ऋतु के आगमन होते ही पेड़ों में नए हरे-भरे पत्ते आने लग जाते हैं और सभी वृक्ष नए पत्तों से आच्छादित होकर ताजा हवा का संचार वातावरण में कर देते हैं। बाग-बगीचों में खिल रहे पुष्पों में नयी कलियाँ फूटने लगतीं हैं और चारों तरफ पुष्प अपनी सुगंध फैलाकर मौसम को खुशनुमा बना देते हैं। ठड़ के मौसम से बर्फ की चादर बने नदी, तालाब, झील, जलाशय आदि फिर से बहने लगते हैं। कोयल अपनी कुहु-कुहु की मधुर ध्वनि से गायन करती है, आम के पेड़ नयी बौरों से सज जाते हैं, फसलें पक जातीं हैं और उनके कटने का समय आ जाता है। एक प्रकार से चारों ओर प्रकृति अपने सौन्दर्य को बिखेर देती है।
आम लोगों के लिए वसंत ऋतु घूमने-फिरने का और मौसम का लुफ्त उठाने का समय होता है। इस समय लोग प्रकृति के सौन्दर्य का दर्शन करने के लिए घरों से बाहर निकल पड़ते हैं। स्वास्थ्य के लिए वसंत ऋतु सबसे अच्छी मानी गयी है और एक नयी ऊर्जा का एहसास इस मौसम में हमें होता है।
वसंत ऋतु में ही होली, शिवरात्रि और वसंत पंचमी जैसे प्रमुख त्योहारों को मनाया जाता है। पुराणों में वसंत को कामदेव का पुत्र कहा जाता है जिसके आने की खुशी में प्रकृति चारों ओर सुंदरता को बिखेरकर उत्सव मनाती है।
सभी जीवों, पेड़-पौधों को खुशहाली देने वाली वसंत ऋतु की प्रतीक्षा सभी करते हैं क्यूंकी अन्य ऋतुओं में जो कष्ट होता है वो इस ऋतु में समाप्त हो जाता है और सभी एक नयी ऊर्जा और स्फूर्ति के साथ खड़े हो जाते हैं।
वसंत ऋतु निबंध (600 शब्द)
प्रस्तावना
वसंत ऋतु भारत की मुख्य छह ऋतुओं में से एक है। इस ऋतु को सभी जीवों के लिए अनुकूल और सुखद माना जाता है क्यूंकी इस समय प्रकृति एक नए रंग रूप में उपस्थित होती है। धरती के सभी जीव, पेड़-पौधे इसी ऋतु की प्रतीक्षा करते हैं क्यूंकी इसी ऋतु में उन्हें एक नयी चेतना और ऊर्जा प्राप्त होती है।
वसंत का आगमन
हिन्दू पंचांग के अनुसार वसंत ऋतु का आगमन माघ महीने की शुक्ल पंचमी से शुरू होता है। फाल्गुन और चैत्र का महिना वसंत ऋतु का माना गया है। हिन्दू पंचांग के साल का प्रारम्भ और अंत भी वसंत ऋतु में होता है। अँग्रेजी कलेंडर के अनुसार वसंत ऋतु फरवरी,मार्च और अप्रैल के मध्य में आती है।
शीत ऋतु के समाप्त होते ही वसंत ऋतु आरंभ होती है और अप्रैल महीने में इसका समापन होता है।गर्मी और ठंड के मध्य में वसंत ऋतु आती है।
वसंत ऋतु के समय ही होली, शिवरात्रि और बसंत पंचमी त्योहारों को मनाया जाता है।
ऋतुओं की राजा वसंत
वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा कहा गया है क्यूंकी इस समय प्रकृति अपने सौन्दर्य की चरम सीमा पर होती है। अन्य ऋतुओं में हमें प्रकृति की वो सुंदरता देखने को नहीं मिलती जो वसंत ऋतु में देखने को मिलती है। प्रकृति का वास्तविक सौन्दर्य अगर हम देखना चाहते हैं तो हमें वसंत ऋतु में देखना चाहिए।
ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी पड़ती है, सावन में अधिक वर्षा और शीत ऋतु में अधिक ठंड, लेकिन वसंत ऋतु में मौसम संतुलित होता है। न ही अधिक ठंड पड़ती है और ना ही अधिक गर्मी।
धरती के सभी प्राणियों के लिए वसंत ऋतु का समय सबसे अनुकूल और सुखद माना गया है। वसंत का सुहावना मौसम सभी को प्रिय है। एक नया उत्साह, नयी ताजगी और स्फूर्ति हमें अपने अंदर देखने को मिलती है।
आम लोग इस ऋतु में अपने घरों से बाहर घूमने निकलते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी वसंत ऋतु को सबसे अच्छा माना गया है क्यूंकी इस समय हरे-भरे वृक्षों से शीतल और ताजा हवा बहती जो हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार कर देती है।
वसंत ऋतु में प्रकृति का सौन्दर्य
वसंत ऋतु का आरंभ होते ही प्रकृति अपना सबसे सुंदर रूप हमें दिखाती है, प्रकृति अपनी सोलह कलाओं का प्रदर्शन इस समय करती है। ऐसा मनोरम दृश्य चारो तरफ देखने को मिलता है की उसे देखते- देखते आँखें नहीं थकतीं।
वसंत ऋतु के प्रारम्भ होते ही सभी वृक्षों में नए हरे-हरे पत्ते आने लगते हैं और सभी पेड़-पौधे पुनः पत्तों से लद जाते हैं। मैदानों में हरी-हरी घास बिछ जाती है। मुरझाए हुये फूलों में नयी कलियाँ फूटने लगतीं हैं और उनकी सुगंध पूरे वातावरण को सुगंधित कर देती है, कोयल व अन्य पक्षी अपने मधुर स्वर में गायन करते हैं, आम के पेड़ों पर नयी बौरें आ जातीं हैं। ठंड के कारण बर्फ बन गए नदी-तालाब, झरने आदि फिर से शीतल जल से बहने लगते हैं।
खेतों में फसल भी वसंत ऋतु में पक जाती है और उनके काटने का समय आज जाता है। किसानों के चेहरे पर नयी फसल आने की खुशी देखते ही बनती है। चारों ओर खुशहाली का माहौल बन जाता है। हरा-भरा खुशनुमा वातावरण देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने हरे रंग की चादर ओढ़ ली हो।
वसंत ऋतु का सुंदर वर्णन रामायण में वाल्मीकि ने किया है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है की ऋतुओं में मैं वसंत ऋतु हूँ।
उपसंहार
बसंत ऋतु प्रकृति का यौवन है और यौवन काल में सभी सुंदर दिखते हैं। इस समय जो सुंदर रूप प्रकृति का हमें देखने को मिलता है उसकी व्याख्या हम शब्दों में नहीं कर सकते, बस उस सौन्दर्य को हम अपनी आँखों से देखकर महसूस कर सकते हैं।