परीक्षाओं में दीपावली पर निबंध अक्सर पूछा जाता है। यहाँ हम आपके लिए लेकर आए हैं दीपावली त्योहार पर विस्तृत निबंध।
दिवाली पर निबंध – Deepawali Hindi Essay
दिवाली या दीपावली का त्योहार हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। इसे प्रकाश का पर्व भी कहा जाता है। हिन्दू धर्म मे इस त्योहार को “अंधकार पर प्रकाश की विजय“, “अच्छाई की बुराई पर विजय” के प्रतीक के रूप मे मनाते हैं।
दीपावली का पर्व बड़े ही धूम-धाम-हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। इस दिन घर, बाज़ार, मंदिर आदि जगहों को तरह-तरह के दीयों और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। खूब पटाखे फोड़े जाते हैं, तरह-तरह की मिठाइयाँ बनाई जातीं हैं और लोग अपने परिजनों के घर जाकर आपस में खुशियाँ बांटते हैं।
दिवाली का त्योहार बच्चों का सबसे ज्यादा पसंद है क्यूंकी इस दिन स्कूल की छुट्टी रहती है और ढेर सारे पटाखे फोड़ने को मिलते हैं और साथ-साथ मिठाई। बड़े लोग पूजा-पाठ और एक दूसरे को बधाई देकर इस पर्व को मनाते हैं।
क्यूँ मनाया जाता है दीपावली का त्योहार
दीपावली का अर्थ होता है – दीप-आवली अर्थात दियों की कतार।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जब भगवान श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अयोध्या नागरी वापस लौटे उस समय कार्तिक का महिना था। भगवान राम अयोध्या आ रहे हैं इस खुशी मे सभी अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या नगरी को दीयों से सजा दिया था। पूरी अयोध्या दीयों के प्रकाश से जग-मगा उठी थी।
तभी से हिन्दू धर्म मे दिवाली को प्रकाश के पर्व के रूप मे मनाया जाता है। उस दिन सभी के मन में यही भाव होता है की भगवान राम और लक्ष्मी का अवतार माँ सीता उनके घर आ रहे हैं।
दिवाली की तैयारी
दशहरा के समाप्त होते ही लोग दीपावली की तैयारी मे जुट जाते हैं। इस त्योहार के आने के पूर्व सभी अपने घरों, दुकानों, ऑफिस आदि की साफ-सफाई कराते हैं। ऐसी मान्यता है की माँ लक्ष्मी उसी घर मे आतीं हैं जिस घर मे स्वच्छता हो।
बाज़ारों मे खूब चहल-पहल देखने को मिलती है। तरह – तरह की लाइटों से बाज़ारों की दुकाने सज जातीं हैं। पटाखों की दुकानों में खूब भीड़ देखने को मिलती है। तरह तरह की मिठाइयाँ बनना शुरू हो जातीं हैं। घर मे जलाने के लिए मिट्टी के दिये खरीदे जाते हैं।
इसके साथ ही सोना-चांदी की बिक्री भी धूम होती है। दिवाली के समय सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है। लोग नए-नए कपड़ों की खरीददारी भी करते हैं।
एक तरह से दिवाली के समय बाज़ारों में धूम खरीददारी की जाती है।
कैसे मनाते हैं दीपावली
दीपावली का त्योहार पूरे पाँच दिन मनाया जाता है। इन पाँच दिनों में खूब पटाखे फोड़े और खूब मिठाइयों का आनंद लिया जाता है, साथ ही साथ लोग एक दूसरे के घर जाकर बधाई देते हैं। दिवाली के ये पाँच दिन अलग -अलग तरीके से मनाए जाते हैं। शुरुआत धनतेरस से होती है और समाप्ति भाई दूज से।
धन तेरस
धनतेरस का दिन दिवाली का पहला दिन होता है। इस दिन भगवान धन्वन्तरी की पूजा की जाती है। इस दिन सोने और चाँदी के सिक्के और गहने खरीदना अत्यंत शुभ माना जाता है।
नरका चतुर्दशी
नरका चतुर्दशी को छोटी दिवाली भी कहते हैं। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने असुर नरकासुर का वध कर उसके बंदी गृह से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कराया था। इस दिन दीयों से घर को सजाया जाता है।
लक्ष्मी पूजन
लक्ष्मी पूजन का दिन दीपावली का मुख्य दिन होता है। इसी दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी और शुभता के प्रतीक श्री गणेशजी की पूजा की जाती है। कहते हैं माता लक्ष्मी इस दिन घर मे प्रवेश करतीं हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करतीं हैं।
दीयों से पूरा घर, बाज़ार जग-मगा उठते हैं। इस दिन खूब पटाखे फोड़े जाते हैं, लोग मिठाइयाँ और तरह तरह के पकवानों का आनंद उठाते हैं। घर के बाहर चोखट पर रंगोली बनाई जाती है।
गोबर्धन पूजा
लक्ष्मी पूजन के दूसरे दिन गोवर्धन की पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर इंद्र के अहंकार को तोड़ा था।
इस दिन गाय की पूजा करने का विशेष महत्व है। गाय को भी माँ लक्ष्मी की तरह सुख-समृद्दि का प्रतीक माना जाता है।
भाई दूज
भाई-दूज का त्योहार भाई और बहन के बीच स्नेह का पर्व है। इस दिन बहन अपने भाई को टीका करती है और उसकी खुशहाली की मंगल कामना करती है। इसके बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है।
विदेशों में दीपावली का त्योहार
दीपावली का त्योहार सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। जहां-जहां हिन्दू मान्यताओं को मानने वाले लोग रहते हैं वहाँ इस त्योहार को धूम-धाम से मनाया जाता है।
पड़ोशी देश नेपाल मे दिवाली को “तिहार” या “स्वन्ति’ के रूप में जाना जाता है। नेपाल मे दिवाली के दिन कौए को प्रसाद दिया जाता है और कुत्ते को भोजन कराया जाता है। लक्ष्मी पूजन किया जाता है और आखिरी दिन भाई दूज की तरह “भाई टीका” मनाया जाता है।
इसके अलावा मलेशिया, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, फ़िजी आदि देशों में दीपावली का पर्व मनाया जाता है।
दिवाली में पटाखों से नुकसान
दीपावली यूँ तो प्रकाश का पर्व माना जाता है किन्तु जिस तरह से आज-कल पटाखों को जलाया जाता है उसकी वजह से पर्यावरण को खासा नुकसान होता है, यही नहीं पटाखों के घुएँ और आवाज से बच्चों और बूढ़ों के स्वास्थ्य को काफी नुकसान होता है।
कई बार पटाखों के कारण आग लगने, जलने की घटनाएँ भी सामने आतीं रहतीं हैं।
दीपावली में हमें पटाखे भी जलाने चाहिए लेकिन साथ मे यह भी ध्यान मे रखना चाहिए की आस-पास का वातावरण प्रदूषित ना होऔर हमें भी किसी भी प्रकार की हानि ना हो। कम ध्वनि और प्रदूषण वाले पटाखे ही जलाने चाहिए।
अंतिम शब्द
रोशनी के इस पर्व को हमें सबके साथ मिलकर मनाना चाहिए। प्रकाश के यह पर्व हमें यही सिखाता है की अंधकार चाहे कितना ही घना क्यूँ ना हो, एक दिये की रोशनी उसे समाप्त कर देती है।
दीपावली के इस त्योहार में हम एक अच्छा और पुण्य का काम भी कर सकते हैं और वो ये की गरीब लोग जो इस त्योहार को नहीं मना पाते उन्हें भी अपनी खुशियों मे शामिल करें।