दशहरा निबंध | dussehra Hindi Essay
स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों से दशहरा के बारे में निबंध अवश्य पूछा जाता है। इसी बात को ध्यान में रखकर हम आपके लिए लेकर आए हैं 200, 300,600 और 1000 शब्दों में दशेरा पर निबंध लेखन।
दशहरा पर निबंध (200 शब्द)
दशहरा को विजयादशमी के पर्व के रूप में भी जाना जाता है। यह त्योहार हिन्दू धर्म के मुख्य पर्वों में से एक है। यह त्योहार नवरात्रि के दशवे दिन मनाया जाता है। दरअसल, इस दिन को बुराई पर अच्छाई का प्रतीक भी माना जाता है
दशहरा के दिन ही भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और धर्म की पुनः स्थापना की थी और इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नमक दैत्य का वध किया था, इसलिए दशहरा को विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
दशहरा का त्योहार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन उत्तर भारत में रावण के पुतले का दहन किया जाता है और रामलीला का आयोजन किया जाता है, पूर्वी भारत में माँ दुर्गा की पूजा की जाती है, तो वहीं दक्षिण भारत में माँ दुर्गा,माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन शस्त्रों की पूजा की जाती है और किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने के लिए यह दिन शुभ माना जाता है।
भारत के हर राज्य में दशहरा मनाने अपने अपने रीति रिवाज़ है। दशहरा के पर्व को सत्य की असत्य पर विजय के रूप मे मनाया जाता है।
दशहरा पर निबंध (300 शब्द)
हमारा भारत देश त्योहारों का देश है और इन्हीं त्योहारों में दशहरा का पर्व भी मुख्य है। दशहरा के पर्व को विजयादशमी के रूप में भी मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में इस पर्व को शक्ति की विजय के रूप में धूम धाम के साथ मनाते हैं।
दशहरा के पर्व को मनाने के पीछे कई कारण हैं-
भगवान श्री राम ने दस सिर वाले रावण का वध कर सत्य की विजय पताका लहराई थी तो वहीं दूसरी तरफ इसी दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था इसलिए इस पर्व को विजयोत्सव के रूप मे मनाया जाता है।
दशहरा का त्योहार पूरे भारत में अलग-अलग रीत-रिवाजों से मनाया जाता है। उत्तर और पश्चिम भारत में इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता है और रामलीला का आयोजन किया जाता है, तो वहीं पूर्वी भारत में इस दिन माँ दुर्गा की पूजा की जाती है और प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। दक्षिण भारत में इस दिन को ज्ञान प्राप्ति का दिन माना जाता है। इस दिन माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती और माँ दुर्गा की पूजा की जाती है।
दशहरा के दिन शस्त्रों की पूजा करने के विशेष महत्व है और इस दिन हमारे देश की पुलिस और सेना अपने हथियारों का पूजन करते हैं। हमारे किसान भाइयों के लिए दशहरा का दिन नयी फसल के घर आने का दिन होता है। दशहरा का दिन किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ माना जाता है और भारत के कई जगहों पर वाहनों की खरीदी करने के लिए यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
दशहरा के दिन से ही दिवाली की तैयारी भी शुरू हो जाती है। दशहरा का पर्व हमें यही शिक्षा देता है की बुराई चाहे कितनी ही बड़ी क्यूँ ना हो एक दिन सच्चाई के सामने उसका नाश अवश्य होता है।
दशहरा पर निबंध (600 शब्द)
दशहरा हिन्दु धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है, नवरात्र के दशमे दिन यह पर्व आता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी। इस पर्व को असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है, इसीलिये इसे ‘विजयादशमी’ के नाम से भी जाना जाता है।
दशहरा के पर्व को शक्ति की विजय के दिन के रूप मे मनाया जाता है। इस पर्व से जुड़ीं कई कथाएँ हैं जो इसे मनाने के महत्व की चरितार्थ करतीं हैं। भारत के अलग -अलग भागों में इस पर्व को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है।
श्री राम की रावण पर विजय का दिन
माँ सीता का अपहरण कर रावण उन्हें लंका ले आता है और अशोक वाटिका में कैद कर देता है। भगवान श्री राम पत्नी सीता को रावण के बंधन से मुक्त कराने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए दश सिर वाले रावण का वध करते हैं, भगवान श्री राम की इसी विजय को दशहरा के रूप मे मनाया जाता है।
उत्तर भारत में इस दिन रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है की इस पुतले का दहन कर लोग अपने अंदर की बुराई का भी दहन करते हैं। इसके साथ-साथ रामलीला का आयोजन भी किया जाता है जिसमे कलाकार रामायण के पात्रों का अभिनय करते हैं।
माँ दुर्गा का विजय दिवस
दशहरा का दिन माँ दुर्गा के विजय उत्सव के रूप मे भी मनाया जाता है। नौ दिनों तक युद्ध करने के पश्चात दशम दिन माँ दुर्गा महिषासुर राक्षस का वध करतीं है और बुराई का अंत करतीं हैं। पूर्वी भारत में इस दिन माँ दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है, यह दिन नवरात्र की समाप्ति का दिन होता है और माँ दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन कर इस पर्व का समापन किया जाता है।
दक्षिण भारत में दशहरा का उत्सव
दक्षिण भारत में दशहरा को अलग ढंग से मनाया जाता है। दक्षिण भारत के लोगों के लिए यह दिन ज्ञान प्राप्ति के लिए विशेष दिन माना जाता है इसलिए माँ दुर्गा के साथ-साथ माँ लक्ष्मी और माँ सरस्वती की पूजा का भी महत्व है।
शस्त्र पूजा का महत्व
दशहरा के दिन शस्त्रों की पूजा करने का विशेष महत्व है। पुलिस और सेना के जवान इस दिन अपने हथियारों की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है अज्ञातवास के समय अर्जुन ने राजा विराट की गायों की कौरवों से रक्षा करने के लिए उनसे युद्ध किया था और उसके पूर्व अर्जुन ने अपने शस्त्रों की पूजा की थी। ऐसा विश्वास है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है उसमें विजय मिलती है। प्राचीन काल में राजा महाराजा इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।
हमारे किसान भाई इस दिन खेतों में नयी फसल आने की खुशी में इस उत्सव को मनाते हैं तो वहीं सामान्य वर्ग के लोग किसी भी कार्य को करने के लिए यह दिन बहुत ही शुभ मानते हैं। इस दिन वाहनों की खरीदी करना भी बड़ा ही शुभ माना जाता है।
पूरे भारत देश में भले ही इस त्योहार को भिन्न-भिन्न रीत-रिवाजों से मनाया जाता हो लेकिन संदेश एक ही होता है वो है – सत्य की असत्य पर विजय। दशहरा का पर्व यही सिखाता है की सदा हमें अच्छाई का मार्ग अपनाना चाहिए और अपने अंदर की बुराई का नाश करना चाहिए उसी प्रकार जिस तरह राम ने रावण का नाश किया था और माँ दुर्गा का महिशासुर का।
दशहरा पर निबंध (1000 शब्द)
प्रस्तावना
दशहरा हिन्दू धर्म के सबसे खास त्योहारों में से एक है। यह पर्व सत्य की असत्य पर विजय के रूप में मनाया जाता है इसलिए इसे विजयदशमी भी कहा जाता हैं। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। नवरात्र के दशवे दिन इस पर्व का आयोजन किया जाता है। दशहरा का त्योहार पूरे भारत देश में अलग-अलग तौर तरीकों से मनाया जाता है। इस पर्व के साथ ही दीपावली की तैयारी भी शुरू हो जाती है।
क्यूँ मानते हैं दशहरा
दशहरा का पर्व विशेष रूप मे शक्ति पूजा का दिन होता है, अच्छाई की बुराई पर जीत की खुशी में इस पर्व को मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने से जुड़ी कई कथाएँ हैं जो इसके महत्व को बतातीं हैं।
जब लंका पति रावण श्री राम की पत्नी सीताजी का अपहरण कर लेता है उस समय श्री राम वानर सेना की सहायता से लंका पर आक्रमण करते हैं और युद्ध में रावण का वध कर अपनी भार्या की रक्षा करते हैं। भगवान राम की इसी विजय की खुशी में दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है और भगवान राम ने उसका वध कर धर्म की पुनः स्थापना की थी।
दशहरा मनाने का एक कारण और है वो है माँ दुर्गा का महिषासुर पर विजय प्राप्त करना। लगातार नौ दिनों तक माँ दुर्गा अलग-अलग रूप में महिषासुर नामक दैत्य से युद्ध करतीं रहीं और दशहरा के दशम दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया। इसीलिए इस पर्व को माँ दुर्गा के विजय उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
दशहरा का पर्व हमें दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी का त्याग करने की प्रेरणा देता है।
भारत में दशहरा मनाने की रीत-रिवाज
दशहरा का पर्व पूरे भारत में बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ मनाया जाता है। भारत के कोने कोने में बसे हिन्दू धर्म के लोग अलग-अलग रीति रिवाजों से इस पर्व को मनाते हैं।
उत्तर भारत में दशहरा मनाने की रीति
उत्तर भारत में इस पर्व को भगवान राम की रावण पर विजय की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन वहाँ रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले का दहन किया जाता है, पुतले के दहन के पीछे यही उद्देश्य होता है की हम भी अपने अंदर की बुराइयों का दहन करें। इसके साथ-साथ रामलीला का सुंदर आयोजन किया जाता है जिसमे रामायण से जुड़े कई नाटकों का आयोजन किया जाता है। हिमाचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा पूरे भारत में विख्यात है।
पूर्वी भारत में मनाने की रीति
पूर्वी भारत में दशहरा के दिन माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। नवरात्र के नौ दिन पूरे होने के बाद दशहरा का दिन नवरात्र के समापन का दिन होता है। इस दिन माँ दुर्गा की खास पूजा की जाती है और उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन की यह यात्रा भी बड़ी शोभनीय और दर्शनीय होती है। जगह-जगह माँ दुर्गा के पंडालों में प्रसाद का आयोजन किया जाता है।
दक्षिण भारत में दशहरा मनाने की रीति
दक्षिण भारत में दशहरा का पर्व मनाने का अलग ही अंदाज है। यहाँ माँ दुर्गा के साथ-साथ माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की पूजा की जाती है। नवरात्रि के पहले तीन दिन इसमें मां दुर्गा की आराधना होती है. अगले तीन दिन लक्ष्मी जी की और अंतिम तीन दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है. प्रतिदिन दीप जलाया जाता है. कलश पूजन किया जाता है. स्त्रियां एकत्रित होकर गायन करती है. बच्चों को उपहार भी दिये जाते है. बच्चों के लिये यह पर्व विशेष महत्व रखता ह। मैसूर में मनाया जाने वाला दशहरा उत्सव पूरी दुनिया में विख्यात है।
पश्चिम भारत में दशहरा
पश्चिम भारत में भी दशहरा के पर्व को रावण दहन करके मनाया जाता है। गुजरात में नवरात्र के नौ दिन गरबा नृत्य का आयोजन किया जाता है और दशमे दिन माँ दुर्गा के लिए विशेष पूजा-हवन का आयोजन किया जाता है और साथ ही साथ रावण दहन किया जाता है। यहाँ वाहनों की खरीदी विशेष रूप से की जाती है।
शस्त्र पूजा का महत्व
दशहरा का दिन शस्त्रों की पूजा का दिन भी होता है। हमारी सेना और पुलिस के जवान अपने-अपने शस्त्रों की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करते हैं। शस्त्र पूजा के पीछे एक कथा भी जुड़ी है।
अज्ञातवास काट रहे पांडव राजा विराट के यहाँ भेष बदलकर निवास कर रहे थे। एक दिन कौरवों ने राजा विराट की गायों का हरण कर लिया। तब अर्जुन ने कौरवों से युद्ध करने के लिए शमी वृक्ष के नीचे छुपाए अपने गांडीव धनुष की पूजा की थी और उसके बाद सभी कौरवों को परास्त किया था।
ऐसा माना जाता है की दशहरा का दिन युद्ध में विजय पाने के लिए शुभ होता है। प्राचीन समय में राजा महाराजा इस दिन युद्ध के लिए निकलते थे ताकि उनकी विजय सुनिश्चित हो। शिवाजी महाराज ने इसी दिन औरंगजेब से युद्ध में विजय प्राप्त की थी।
इसके अलावा दशहरा का अपना सांस्कृतिक महत्व भी है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान भाइयों के लिए यह दिन नयी फसल के आने का उत्सव होता है। यह दिन किसी भी कार्य को करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है इसलिए लोग इस दिन अपने नए व्यवसाय और धंधे का प्रारम्भ करते हैं।
उपसंहार
दशहरा का पर्व भारत के कोने-कोने में भले ही अलग-अलग ढंग से मनाया जाता हो लेकिन यह पर्व हमें एक ही शिक्षा देता है और वो ये की अच्छाई के आगे हमेशा बुराई को परास्त होना ही पड़ता है। हमें हमेशा अपने अंदर की बुराई से लड़ते रहना चाहिए और जिस प्रकार बुराई के प्रतीक रावण का राम ने और महिषासुर का माँ दुर्गा ने संहार किया था उसी प्रकार हमें अपने अंदर की हर बुराई का संहार करना चाहिए।
Aapane sabad mein galat Kiya
ok