पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | environmental pollution Essay In Hindi
पर्यावरण प्रदूषण आज हमारे लिए सबसे बड़ा संकट है। धरती की आज सबसे बड़ा खतरा बढ़ते प्रदूषण का है। इसके लिए हमें सबसे पहले पर्यावरण प्रदूषण क्या है इसके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।
पर्यावरण प्रदूषण संक्षिप्त निबंध (150 शब्द)
प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया, हमारी हर जरूरत को पूरा किया और बदले में हम मनुष्यों ने प्रकृति को क्या दिया? जी हाँ – पर्यावरण प्रदूषण। एक ऐसा अभिशाप जो आज इस धरती के लिए सबसे बड़ा संकट बन गया है।
विकास की ऐसी अंधी दौड़ पर हम निकल पड़े हैं की हमने अपने आस पास के पर्यावरण को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है। हमें ये दिखाई ही नहीं दे रहा है की किस कदर हमने अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर दिया है।
पर्यावरण प्रदूषण को आप वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण आदि के रूप में देख सकते हैं। इन सभी प्रदूषणों ने हमारे पर्यावरण का विनाश कर दिया है। लगातार जंगलों की कटाई करना, जहरीली गैसें वातावरण में छोड़ना, जल को दूषित करना, तेज ध्वनि वाले यत्रों का इस्तेमाल मुख्य रूप मे पर्यावरण प्रदूषण के कारण हैं।
समय रहते यदि हम पर्यावरण प्रदूषण को लेकर सचेत नहीं हुये तो वो समय दूर नहीं जब पृथ्वी पर मानव जीवन कठिन हो जाएगा।
पर्यावरण प्रदूषण निबंध (250 शब्द)
पर्यावरण प्रदूषण आज मानव जीवन एवं समस्त जीव सृष्टि के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही परिणाम है की आज पूरी धरती जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि से बुरी तरह से प्रभावित हो रही है और इसका सीधा असर हम पर पड़ रहा है।
हमने लगातार जंगलों की कटाई की, नदियों, तालाबों और महासागर के जल को भी दूषित कर दिया, उपजाऊ भूमि को भी दूषित कर बंजर कर दिया, वातावरण में जहरीली गैसों को छोड़कर हमने हवा को भी दूषित कर दिया। पृथ्वी की सूर्य की किरणों से रक्षा करने वाली ओज़ोन की परत धीरे-धीरे कम हो रही है और उसकी वजह से धरती पर हो रही है ग्लोबल वार्मिंग की असर।
पर्यावरण प्रदूषण का दोषी कोई और नहीं हम मनुष्य ही है। अपने जीवन को आराम दायक बनाने के चक्कर में हमने प्रकृति को बिलकुल ही अनदेखा कर दिया है और अब हमें उसके गंभीर परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
समय पर बारिस ना होना, अधिक गर्मी-ठंड का पड़ना, अधिक बरसात का होना, प्राकृतिक आपदाओं का आना, पीने का शुद्ध पानी ना मिलना, शुद्ध हवा ना मिलना आदि ये सब क्या है, वास्तव में यह पर्यावरण प्रदूषण का ही नतीजा है। मानव जीवन तो संकट में है ही, साथ ही साथ धरती के अन्य जीवों के जीवन पर भी पर्यावरण प्रदूषण के कारण खतरा मंडरा रहा है।
समय रहते हमें सजग होना होगा और पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए उपाय ढूँढने होंगे, अन्यथा हमारी आने वाली पीढ़ी को प्रकृति का अलग ही रूप देखने को मिलेगा।
पर्यावरण प्रदूषण निबंध (500 शब्द)
हमारी पृथ्वी को प्रकृति ने बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया था लेकिन आज हम मनुष्यों ने प्रकृति की उस सुंदरता को ग्रहण लगा दिया है और इस ग्रहण का नाम है – पर्यावरण प्रदूषण। जी हाँ, प्रकृति के साथ खिलवाड़ का ही नतीजा आज हम पर्यावरण प्रदूषण के रूप में देखने को मिल रहा है और आज पूरे विश्व के लिए यह एक सबसे बड़ा संकट बन गया है।
हमने जैसे-जैसे विकास किया वैसे वैसे हम प्रकृति को नुकसान पहुंचाते गए। जंगलों का काटकर और जहरीली गैसों को छोड़कर शुद्ध हवा को हमने जहरीला बना दिया है, नदियां, तालाब जहां सुंदर जल की धाराएँ बहतीं थी आज वो दूषित हैं और नष्ट होने की कगार पर हैं। जमीन में केमिकल और रसायन घोलकर हमने उसे भी बंजर कर दिया है। पर्यावरण प्रदूषण कुछ और नहीं बल्कि जल, वायु, भूमि, ध्वनि आदि प्रदूषण ही है जिसकी जिम्मेदार मानव जाति है।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
- श्वास लेने के लिए हमें शुद्ध हवा नसीब नहीं हो रही।
- पीने के लिए साफ पानी नहीं मिल रहा एक तरह का जल संकट देखने को मिल रहा है।
- अत्यधिक गर्मी, ठंड और बारिस का पड़ना, मौसम में बदलाव, ग्लोबल वार्मिंग, प्रकृतिक आपदाएँ आदि पर्यावरण प्रदूषण के ही गंभीर परिणाम हैं।
- पर्यावरण प्रदूषण के गंभीर परिणाम सिर्फ मानव जीवन पर ही नहीं पड़ रहे बल्कि धरती पर रहने वाले सभी जीवों के लिए ये बड़ा संकट बन चुका है।
यदि समय रहते हम जागरूक नहीं बने तो पर्यावरण प्रदूषण से पूरी धरती की जीव सृष्टि के जीवन पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। पर्यावरण प्रदूषण को हम कम कर सकते हैं और यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं, बल्कि भागीदारी का काम है।
सबसे पहले तो लगातार जगलों की कटाई रोकने की जरूरत है और अधिक से अधिक वृक्षों को लगाकर जो नुकसान हम कर चुके हैं उसकी भरपाई करने की जरूरत है। दूसरा काम हम कर सकते हैं अपनी नदियों, समुद्र, तालाब आदि को स्वच्छ रखकर।
वायु प्रदूषण एक बड़ा संकट है और इसके लिए हमें जहरीला धुआं छोड़ने वाली हर चीज का इस्तेमाल बंद करना होगा। भूमि के प्रदूषण को रोकने के लिए हमें खेतों में कीटनाशक आदि रसायनों का इस्तेमाल बंद करना होगा। तेज ध्वनि वाले यंत्रों आदि का उपयोग नहीं करना है जिसकी वजह से ध्वनि प्रदूषण होता है।
पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है और विश्व के सभी देशों को इस पर एक राय बनाकर इस संकट से निपटने की जरूरत है। प्रकृति का जो भी नुकसान हमने किया है वो हमें सही करना होगा तभी हम पर्यावरण प्रदूषण की असर को कम कर सकते हैं। जागरूकता का अभाव भी पर्यावरण प्रदूषण की एक बड़ी वजह है, हमें लोगों को इस बारे में जागरूक करना होगा की क्या पर्यावरण लिए ठीक है और क्या नहीं।
प्रकृति चक्र में मानव को अपना हस्तक्षेप बंद करना होगा, जिस तरह हम लगातार विकास की गति को बढ़ाने और खोजों में लगे हुये हैं उसकी वजह से पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है। हम पर्यावरण से ही जुड़े हुये हैं अतः उसकी देख रेख करना हमारा कर्तव्य भी है और जरूरत भी।
पर्यावरण प्रदूषण पर विस्तृत निबंध (1000+ शब्द)
पर्यावरण प्रदूषण क्या है?
पर्यावरण प्रदूषण अर्थात हमारे पर्यावरण में ऐसे पदार्थों की उपस्थिति जिसका हानिकारक या जहरीला प्रभाव होता है या प्राकृतिक वातावरण में फैला प्रदूषण जो प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। सीधे शब्दों में कहें तो पर्यावरण प्रदूषण एक ऐसा संकट है जो हमारे पर्यावरण और पर्यावरण पर आधारीत समस्त जीव सृष्टि को नुकसान पहुंचाता है।
पर्यावरण प्रदूषण कैसे होता है?
पर्यावरण प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषित तत्व वातावरण को दूषित करते हैं; जो हमारी सामान्य जीवन शैली को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाले बदलाव लाते हैं। ये प्रदूषित तत्व हवा, पानी, भूमि हर जगह मौजूद हैं और इन्हीं की वजह से फैलता है जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। इन सभी प्रदूषणों की वजह हमारे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है।
पर्यावरण प्रदूषण के कई कारण है:
औद्योगिक गतिविधियाँ: पूरे विश्व में उद्योग समृद्धि और संपन्नता अवश्य लेकर आए हैं पर इन उद्योगों की वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ा है। उद्योग-कारखानों से निकला जहरीला धुआं पूरे वायु मण्डल को प्रदूषित कर चुका है। इन उद्योगों के कारण वायु और जल दोनों दूषित हो रहे हैं। औद्योगिक कचरे का अनुचित निपटान मिट्टी और जल प्रदूषण के स्रोत हैं। उद्योग से उत्पन्न रासायनिक तत्व झीलों, नदियों और समुद्रों और मिट्टी को प्रदूषित करने के साथ-साथ धुएं को भी छोड़कर पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं।
वाहन: पेट्रोल और डीजल का उपयोग करने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं और खाना पकाने वाला कोयला पर्यावरण को प्रदूषित करता है। वाहनों का ईंधन काले धुएं का उत्सर्जन करता है, जो वातावरण की शुद्ध हवा में घुलकर उसे अशुद्ध कर देता है। इन वाहनों के हानिकारक धुएं से वायु प्रदूषण होता है। इसके अलावा, इन वाहनों द्वारा उत्पादित ध्वनियाँ ध्वनि-प्रदूषण का कारण बनती हैं।
शहरीकरण और औद्योगिकीकरण: शहरीकरण और औद्योगीकरण के तेजी से हो रहे विकास के कारण जंगलों की कटाई लगातार की जा रही है। यह जंगल हवा को शुद्ध रखते हैं। जगलों की कटाई के कारण प्रदूषण तो बढ़ा ही है साथ ही साथ वनों में रहने वाले पशु-पक्षी आदि का जीवन भी संकट में है।
जनसंख्या में वृद्धि: जनसंख्या में वृद्धि के कारण, विशेष रूप से विकासशील देशों में, बुनियादी भोजन, व्यवसाय और आश्रय की मांग में वृद्धि हुई है। दुनिया में बढ़ती आबादी और उनकी मांगों को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर वनों की कटाई हो रही है।
जीवाश्म ईंधन का दहन: जीवाश्म ईंधन के दहन से CO2 और CO जैसी जहरीली गैसों से हवा, मिट्टी और पानी प्रदूषित होता है।
कृषि अपशिष्ट: कृषि में उपयोग किए जाने वाले उर्वरक और कीटनाशक पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।
पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य प्रकार
वायु प्रदूषण
उद्योग-धंधों से निकलने वाली जहरीली गैसें, वाहनों का धुआं आदि की वजह से वातावरण की हवा अशुद्ध बनती है जिसे हम वायु प्रदूषण कहते हैं। वातावरण में जब जहरीली गैसों का प्रमाण बढ़ जाता है तब हमारे लिए श्वास लेना भी मुश्किल हो जाता है और इसकी वजह से हमारे शरीर पर इसके गंभीर परिणाम देखने को मिलते हैं।
जल प्रदूषण
नदी, तालाब में गंदे केमिकल युक्त पानी का निकास, कूड़ा-कचड़ा आदि डालने की वजह से पानी का प्रदूषण नदियों में बढ़ गया है। यही नहीं समुद्रों में भी हमने प्लास्टिक आदि के कचड़े को डालकर जल प्रदूषण की बढ़ाया है।
भूमि प्रदूषण
खेतों में कीटनाशक, खाद आदि के इस्तेमाल से उपजाऊ जमीन दूषित हो रही है। इसके अलावा औद्योगिक केमिकल युक्त तत्वों का भी जमीन में प्रवेश होने से जमीन का प्रदूषण होता है।
ध्वनि प्रदूषण
जब अधिक तीव्रता वाला शोर हमारे कानों तक पहुंचता है तब उसे हम ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। यह तनाव और उच्च रक्तचाप जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं को जन्म दे सकता है और हमारी सुनने की शक्ति भी जा सकती है।
पर्यावरण प्रदूषण का दुष्प्रभाव
पर्यावरण पर असर
वायु और पानी का प्रदूषण पर्यावरण को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं। वायुमंडल में CO2 की मात्रा में वृद्धि से स्मॉग होता है जो सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुंचने से रोक सकता है। सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें एसिड रेन का कारण बन सकती हैं। तेल रिसाव के कारण जल प्रदूषण से कई वन्यजीव प्रजातियों की मृत्यु हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग
जहरीली गैसों का उत्सर्जन विशेष रूप से CO2 गैस ग्लोबल वार्मिंग की ओर हमें ले जा रही है। हर दूसरे दिन नए उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं, नए वाहन सड़कों पर आते हैं और नए घरों के लिए रास्ता बनाने के लिए पेड़ों को काटा जाता है। ये सभी, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से पर्यावरण में Co 2 में वृद्धि करते हैं। CO2 में वृद्धि से ध्रुवीय बर्फ के आवरण पिघलने लगते हैं जो समुद्र के स्तर को बढ़ाते हैं और तटीय क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं।
मानव स्वास्थ्य
वायु की गुणवत्ता में कमी से अस्थमा या फेफड़ों के कैंसर सहित कई श्वसन समस्याएं होती हैं। सीने में दर्द, गले में सूजन, हृदय रोग, श्वसन रोग कुछ ऐसे रोग हैं जो वायु प्रदूषण के कारण हो सकते हैं। पानी के दूषित होने से जल प्रदूषण होता है और त्वचा संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं जिनमें त्वचा में जलन और चकत्ते शामिल हैं। इसी तरह, ध्वनि प्रदूषण से सुनने की शक्ति समाप्त होना, तनाव और नींद की गड़बड़ी होती है।
ओजोन परत की कमी
ओजोन परत अल्ट्रा वायलेट किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकती है। अधिक मात्रा में अल्ट्रा वायलेट किरणों से त्वचा कैंसर हो सकता है। वायुमंडल में जहरीली गैसों को छोड़ने के कारण ओजोन परत धीरे धीरे कम हो रही है।
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय
- वनों की कटाई हमें रोकनी होगी। साथ ही साथ अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। जितने अधिक वृक्ष होंगे उतना अच्छा पर्यावरण होगा।
- जल के प्रदूषण को रोकने के लिए नदियों, तालाबों जाने वाले गंदे पानी को रोकना चाहिए। समुद्र के अंदर भी गंदगी करने से हमें खुद को रोकना होगा।
- अपने आस पास के वातावरण को शांत रखना चाहिए। तेज ध्वनि वाले यंत्र हमें इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
- इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों और सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों के उपयोग से वायु प्रदूषण को विभिन्न तरीकों से कम कर सकते हैं।
- सौर ऊर्जा एक शानदार समाधान है। हम सौर पैनल सिस्टम का उपयोग करके सूर्य से ऊर्जा प्राप्त कर सकते हैं जिसका इस्तेमाल हम बिजली उत्पन्न करने में कर सकते हैं।
- पवन ऊर्जा के जरिये भी बिजली उत्पन्न की जा सकती है। ये प्राकृतिक विकल्प पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में बहुत ही सहायक हैं।
उपसंहार
हमारे पर्यावरण की रक्षा हमें ही करना है। पर्यावरण प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है और उसका समाधान भी सभी को करना है। ये किसी एक व्यक्ति का कार्य नहीं। पर्यावरण प्रदूषण के बारे में जागरूकता होना बहुत जरूरी है। आइये हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण को रोकें अपनी धरती को हरा-भरा रखें।
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Ididkjdfkf
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Rushikrsh
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