ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – Global warming Hindi Essay
ग्लोबल वार्मिंग एक बहुत बड़ा संकट है मानव और अन्य जीव सृष्टि के लिए। समय रहते यदि हमने इसे रोकने के उपाय ना किए तो आने वाले समय में धरती का तापमान इतना बढ़ जाएगा की हमारे लिए जीवन बड़ा मुश्किल हो जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग के बारे में लोगों को जागृत होने की जरूरत है इसलिए हम यहाँ ग्लोबल वार्मिंग के बारे में निबंध लेकर आए हैं जिसमे इसके कारणों को बताया गया है और किस तरह से हम इसे रोक सकते हैं इसके बारे में भी बताया गया है।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (200 शब्द)
हमारी धरती का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है इसे ही हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं। मानव द्वारा फैलाये गए प्रदूषण की वजह से हमारी पृथ्वी गरम हो रही है जिसकी वजह से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है और समस्त सृष्टि एक बड़े संकट की ओर अग्रसर हो रही है।
विकास की दौड़ में हमने प्रकृति का विनाश किया है। हवा में इतना प्रदूषण फैला दिया है की वातावरण में जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ गयी है। जब इन गैसों की मात्रा बढ़ जाती है तब अधिक गर्मी उत्पन्न होती है जिसकी वजह से जलवायु में भारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण अधिक गर्मी, अधिक ठंड, अधिक बरसात, समुद्र के स्तर में बढ़ोत्तरी, जीव-सृष्टि का नाश, बाढ़, सूखा आदि समस्याएँ खड़ी हो रहीं हैं। दुनिया के कई शहर भविष्य में समुद्र में समा जाएंगे, पेड़-पौधे नष्ट हो जाएंगे और एक दिन मानव जीवन पर भी संकट आ जाएगा।
ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए हमें धरती पर प्रदूषण कम करना होगा, जितने भी प्रदूषण फैलाने वाले कारण हैं वो सभी समाप्त करने होंगे। जंगलों की कटाई रोक कर उनका विस्तार बढ़ाना होगा, अपने जीवन में प्रदूषण फैलाने वाली चीजों का बहिष्कार कर हम काफी हद तक ग्लोबल वार्मिंग को कम कर सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध (300 शब्द)
ग्लोबल वार्मिंग का मतलब है हमारी पृथ्वी का गरम होना। बढ़ते प्रदूषण के कारण वातावरण में ऐसी गैसों में वृद्धि हुई है जो धरती के तापमान को गरम कर रहीं हैं।
ग्लोबल वार्मिंग का कारण मानव सर्जित प्रदूषण है। हवा में हमने कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को इतना बढ़ा दिया है की धरती की सूर्य की किरणों से रक्षा करने वाली ओज़ोन गैस की परत में छेद हो गया है जिसके कारण सूर्य की गर्मी धरती को और ज्यादा गरम कर रही है। जंगलों को काटकर और हवा में जहरीली गैसों का उत्सर्जन कर हमने वातावरण को गरम कर दिया है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फीले प्रदेश पिघलकर समुद्र में समा रहे हैं जिसके कारण समुद्र धीरे-धीरे अपना स्तर बढ़ा रहा है और आस-पास के इलाकों में फैल रहा है। धरती पर जलवायु में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। अधिक वर्षा, गर्मी और ठंड का पड़ना ग्लोबल वार्मिंग की असर है। धरती पर वन्य जीवों के जीवन पर संकट देखने को मिल रहा है। जंगल धीरे-धीरे समाप्त हो रहे हैं। गर्मी के कारण जल के स्त्रोत सूख रहे हैं। और ना जाने कितनी ही समस्याएँ ग्लोबल वार्मिंग के कारण देखने को मिल रहीं हैं।
ग्लोबल वार्मिंग को यदि हमें रोकना है तो सबसे पहले प्रदूषण को फैलने से रोकना होगा। हवा में जहरीली गैसों का उत्सर्जन रोकने की जरूरत है। जंगलों की कटाई रोकना बहुत जरूरी है। जंगल वातावरण को शुद्ध रखते हैं इसलिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने चाहिए। घरेलू बिजली से चलने वाले उपकरण उपयोग ना होने पर बंद रखने चाहिए, वाहनों का कम से कम प्रयोग कर हम अपनी भूमिका निभा सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक संकट है और सभी देशों को मिलकर इसका सामना करने की जरूरत है क्यूंकी इसका प्रभाव पूरी दुनिया पर समान रूप से पड़ने वाला है।
ग्लोबल वार्मिंग पर विस्तृत निबंध (1000 शब्द)
ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है – पृथ्वी की सतह के तापमान में वृद्धि। ग्रीनहाउस गैसें जैसे वाष्प, कार्बन डाइऑक्साइड,और मीथेन आदि की मात्रा जब हमारे वातावरण में अधिक हो जाती है तब हमारी पृथ्वी गरम होने लगती है। इसे ही हम ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।
बढ़ते प्रदूषण के कारण हमारे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की मात्रा बढ़ी है। जैसे ही पृथ्वी की सतह का तापमान गर्म होता है तब बर्फीले इलाकों की बर्फ पिघलकर समुद्र में गिरती है जिसके कारण समुद्र का स्तर ऊंचा हो जाता है। समुद्र का जल स्तर बढ़ने से तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आती है। मौसम के मिजाज में ग्लोबल वार्मिंग के कारण बदलाव होगा। रेगिस्तान संभवतः आकार में वृद्धि करेंगे। गर्म क्षेत्रों की तुलना में ठंडा क्षेत्र तेजी से गर्म होगा। मजबूत तूफान की संभावना अधिक हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग के कारण
ग्लोबल वार्मिंग का असली कारण है मानव सर्जित प्रदूषण जो हम लगातार किसी ना किसी रूप में धरती पर फैला रहे हैं। वातावरण को हमने इतना प्रदूषित कर दिया है की जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ गयी है।
मानव सर्जित प्रदूषण कई तरह से फैलते हैं:
जहरीली गैसों का उत्सर्जन – वाहनों में इस्तेमाल किया जाने वाला ईंधन और बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कोयले के धुएँ से वातावरण में हम कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैं जो प्रदूषण का कारण बनती है। सिर्फ यही नहीं उद्योगों-कारखानों से निकलने वाले धुएँ के कारण भी वातावरण प्रदूषित होता है। सभी देशों में हवा के प्रदूषण की मात्र बढ़ी है।
जंगलो की कटाई – हम भारी संख्या में जंगलों की कटाई कर रहे हैं, जिसके कारण वृक्षों की संख्या कम हो रही है। हरे-भरे वृक्ष वातावरण में से कार्बन को ग्रहण कर ऑक्सीज़न मुक्त करते हैं और वातावरण शुद्ध रखने का काम करते हैं। लेकिन हम लगातार वनों की कटाई कर वहाँ शहरीकरण कर रहे हैं जिसके कारण हवा में कार्बन की मात्र बढ़ रही है।
उर्वरक और कीटनाशक – खेतों में इस्तेमाल की जाने वाली उर्वरक और कीटनाशक पर्यावरण के लिए घातक हैं। न केवल वे मिट्टी को प्रदूषित करते हैं बल्कि पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों को छोड़ते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग का कारण हैं।
इसके अलावा प्लास्टिक का इस्तेमाल, जनसंख्या में वृद्धि, पशु पालन आदि वजहों से वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ा है हमारी धरती धीरे-धीरे गरम होती जा रही है।
ग्लोबल वार्मिंग की असर
बर्फीले क्षेत्र पिघलना – ग्लेशियरों का पिघलना मानव और पृथ्वी पर रहने वाले जानवरों के लिए विकट समस्याओं को पैदा करेगा। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्र का स्तर बढ़ेगा जिससे बाढ़ आएगी और आस-पास रहने वाले लोगों के लिए मुसीबत बनेगी। समुद्र के स्तर के ऊपर उठने के अलावा, जानवरों की कई प्रजातियों का जीवन भी खतरे में पड़ जाएगा और इस तरह पर्यावरण के संतुलन को बाधित करेगा।
जलवायु परिवर्तन – अनियमित मौसम के परिणाम हमें अभी से देखने को मिल रहे हैं। अधिक वर्षा, अधिक गर्मी और ठंड जैसे बदलाव मौसम में होने की संभावना है। जहां बरसात नहीं होती वहाँ तेज बरसात होगी और जहां अधिक बरसात होती है वहाँ कम बरसात देखने को मिलेगी। जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर वन्य जीवों पर पड़ेगा।
सूखे की स्थिति – जहां बरसात के कारण बाढ़ आती थी आज वहाँ भीषण सूखा पड़ रहा है। तापमान गर्म होने के कारण, धरती को एक तरफ सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। सूखे के कारण वनों में पेड़-पौधे नष्ट हो रहे हैं और वन्य जीवों का भी नाश हो रहा है।
रोगों का फैलना – जैसे-जैसे तापमान अधिक गर्म हो रहा है, यह मनुष्यों के स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल सकता है और कई बीमारियों को जन्म दे सकता है। बारिश बढ़ने से जल जनित रोगों के मलेरिया की तरह फैलने की संभावना है। पृथ्वी अधिक गर्म हो जाएगी और इसके परिणामस्वरूप गर्मी बढ़ने की संभावना है जो लोगों के लिए एक बड़ा संकट बन सकती है
कृषि पर असर – ग्लोबल वार्मिंग कृषि को प्रभावित कर सकती है। हालाँकि परिणाम अभी तक दिखाई नहीं दे रहे हैं, लेकिन आने वाले वर्षों में इसका असर दिखाई दे सकता है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ेगा, पौधों का जीवित रहना कठिन हो जाएगा और वे नष्ट हो जाएंगे। पौधे मनुष्य के भोजन का प्रमुख स्रोत हैं और इसके परिणामस्वरूप भोजन की कमी हो सकती है। भोजन की कमी से कुछ देशों में युद्ध और संघर्ष हो सकता है।
वन्य जीव विलुप्त होने की संभावना – ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षी विलुप्त होने की कगार पर हैं। आने वाले समय में कई प्रजातियाँ विलुप्त हो सकतीं हैं।
ग्लोबल वार्मिंग मानव जीवन के लिए भी बड़ा खतरा बन सकती है और अगर इसी तरह से इसकी असर होती रही तो एक दिन मानव जीवन भी संकट में पड़ सकता है।
ग्लोबल वार्मिंग रोकने के उपाय
ऐसा नहीं की ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का हम मुक़ाबला नहीं कर सकते हैं। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिनमें बदलाव कर हम ग्लोबल वार्मिंग से अपनी धरती को बचा सकते हैं।
प्रदूषण को कम करें- वाहनों के धुएँ से प्रदूषण फैलता है तो हमें वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। बिजली से चलने वाले वाहनों का उत्पादन कर हम इस समस्या को सुलझा सकते हैं।
उद्योग धंधों का प्रदूषण कम करें – सबसे ज्यादा प्रदूषण उद्योगों से निकालने वाले धुएँ से होता है। ऐसे उद्योगों को बंद करने की जरूरत है जो हवा को अशुद्ध करते हैं।
जंगलों की कटाई रोकना और अधिक वृक्ष उगाना – जंगलों को काटना हमें बंद करना होगा और अधिक से अधिक वृक्ष लगाकर हमें जंगलों का विस्तार बढ़ाना होगा।
सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग – कोयले से बिजली उत्पादन करने की जगह हमें प्राकृतिक ऊर्जा के साधन जैसे की सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा से बिजली उत्पन्न करने की जरूरत है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बंद करें – अपने टेलीविज़न, डीवीडी प्लेयर, स्टीरियो और कंप्यूटर आदि का जब आप उपयोग नहीं कर रहे हैं तो उन्हें बंद कर दें , ऐसा करने से कार्बन डाइऑक्साइड फैलने से आप रोक सकते हैं।
इसके अलावा यदि हम अपने रोजिंदा जीवन में बदलाव करें और हम प्रदूषण फैलाने वाली चीजों से दूर रहें तो भी बहुत बड़ी मदद हम ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए कर सकते हैं जैसे की प्लास्टिक का उपयोग बंद करना, CFL बल्ब का इस्तेमाल करना, एसी का कम इस्तेमाल करना, साइकल का प्रयोग करना आदि।
उपसंहार
ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक समस्या है और पूरा विश्व एक जुट होकर ही इसका खतरा टाल सकता है। विश्व के सभी प्रगतिशील देशों को इसके बारे में गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। अभी तो हम ग्लोबल वार्मिंग की कम असर को देख रहे हैं लेकिन यदि समय रहते हम जागरूक नहीं हुये तो इसके गंभीर परिणाम मानव जाति औ अन्य जीवों को भुगतने पड़ सकते हैं।
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