होली पर हिन्दी निबंध | Holi Essay in Hindi

होली पर हिन्दी निबंध | Holi Essay in Hindi 

बुरा ना मानो होली है- रंगो का पर्व होली सभी का सबसे प्रिय त्योहार है। युवा और बच्चे खासकर इस दिन बड़े उत्साह में रहते हैं। रंगो से भरे इस त्योहार के बारे में हम लेकर आए हैं होली पर विशेष निबंध। 

होली पर निबंध (100 शब्द)

होली का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। हर साल यह पर्व मार्च महीने में आता है। होली के पहले दिन शाम के समय होलिका दहन किया जाता है जिसमे लोग लकड़ी, गोबर के उपले आदि एकत्र कर होलिका दहन करते हैं।

होली का दूसरा दिन रंगों का उत्सव के रूप में मनाया जाता है, इस दिन सभी लोग आपसी बैर भाव भूलकर एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं और एक दूसरे के साथ खुशियाँ बांटते हैं। होली को पूरे भारत भर में फगुआ, धुलेटी, दोल आदि नाम से भी जाना जाता है।

होली पर निबंध (200 शब्द)

रंगो का उत्सव होली भारत और नेपाल में बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हिन्दू धर्म के खास त्योहारों में से एक है। हर साल मार्च महीने में और हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह की पूर्णिमा में होली का त्योहार मनाया जाता है।

होली का पर्व दो दिन का होता है। पहले दिन होलिका दहन किया जाता है जिसके पीछे पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। असुर राज हिरण्यकशिपु अपने ही पुत्र प्रहलाद जो की भगवान विष्णु का भक्त था, उसे मारने के लिए अपनी बहन होलिका से कहते हैं। होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ जाती है, किन्तु श्री नारायण की कृपा से भक्त प्रहलाद बच जाता है और होलिका अग्नि में भष्म हो जाती है, तभी से होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन में लोग लकड़ी, गोबर के उपले आदि एकत्र कर उसका दहन करते हैं।

होली के दूसरे दिन धुलेटी अर्थात रंगों का उत्सव मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग एकत्र होकर अपने सगे-संबंधियों को रंग-गुलाल लगाते हैं। होली का मुख्य पकवान गुजिया खास तौर पर बनाया जाता है। इस दिन सभी लोग आपस का बैर भूलकर एक होकर होली मनाते हैं। बुरा ना मानो होली है – यह कहकर लोग अपने सभी गिले-शिकवे इस दिन भूल जाते हैं।

होली पर निबंध (400 शब्द)

होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है जिसे हर धर्म के लोग बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। प्रेम से ओत-प्रोत यह रंगों के त्योहार हर धर्म, जाति और संप्रदाय के बंधनों को खोलकर आपसी भाई-चारे का संदेश देता है। होली के दिन सभी लोग अपने लड़ाई-झगड़े आदि भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं और एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाते हैं।

होली का पर्व फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली के प्रथम दिन होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसमें हमें होली का महत्व समझ में आता है।

भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद के पिता हिरण्यकशिपु स्वयं को भगवान मानते थे और वे श्री विष्णु को अपना परम शत्रु मानते थे। अपने पुत्र प्रहलाद को विष्णु भक्ति करते हुये उन्होने देखा तो उन्होने कई बार प्रहलाद को मारने का प्रयास किया लेकिन सभी प्रयास विफल हुये। अंत में हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रहलाद को मारने के लिए मदद मांगी। होलिका भक्त प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर जलती हुई चिता में बैठ गयी। किन्तु श्री हरी विष्णु की कृपा से प्रहलाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।

यह कथा यही संदेश देती है कि बुराई के सामने अच्छाई की विजय हमेशा होती है। तभी से होली के पहले दिन शाम को होलिका दहन किया जाता है।

होली का दूसरा दिन रंगो का त्योहार के रूप में मनाया जाता है जिसमें सभी लोग अपने सगे-संबंधियों के साथ मिलकर अबीर, गुलाल और तरह तरह के रंगो से धुलेटी मनाते हैं और सभी एक दूसरे को रंग लगाकर आपसी बैर भाव को भूल जाते हैं।

होली के दूसरे दिन सभी लोग प्रातः जल्दी उठकर अपने सगे-संबंधियों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ रंगों की होली खेलते हैं। बच्चे और युवा इस दिन बहुत उत्साह में रहते हैं। इस दिन बाज़ारों में तरह-तरह की मिठाइयाँ बिकनी शुरू हो जातीं हैं। पिचकारी और रंगों की  खूब बिक्री होती है।

इस दिन सभी लोग अपने बैर-भाव को भूलकर आपस में गले मिलते हैं। घर में होली का विशेष पकवान गुजिया खास तौर पर बनाई जाती है। इस दिन होली के गीत भी गाये जाते हैं। ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।

होली का पर्व रंगों का पर्व है लेकिन आजकल के रंगों में केमिकल का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है जो कि हमारी त्वचा के लिए नुकसानदेय है। अतः हमें होली के दिन प्रकृतिक रंगो का ही इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही साथ हमें होली के दिन पानी का व्यय भी करने से बचना चाहिए।

होली पर निबंध (700 शब्द)

होली हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है और यह पर्व फाल्गुन (मार्च) के महीने में पूर्णिमा के दिन हर साल मनाया जाता है। यह त्योहार आपसी प्रेम और भाई चारे का पर्व है और भारत में हर धर्म जाति से परे होकर सभी लोग मिल जुलकर यह त्योहार मानते हैं। यह त्योहार बसंत ऋतु के समय आता है। होली का  त्योहार दो दिन का होता है, पहला दिन होलिका दहन का होता है और दूसरा दिन रंगों के साथ उत्सव मनाने का होता है।

होली से जुड़ी पौराणिक कथा

हिरण्यकशिपु नाम का असुर बहुत बलशाली था और अपने बल से उसने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर रखा था। वह स्वयं को ईश्वर मानने लगा था और जो भी इसका विरोध करता उसे मृत्यु दंड देता था। हिरण्यकशिपु भगवान विष्णु को अपना परम शत्रु मानता था।

हिरण्यकशिपु का पुत्र बचपन से ही श्री विष्णु का परम भक्त था और उनका ही नाम जपता रहता था। जब हिरण्यकशिपु को इस बात का पता चला तो क्रुद्ध होकर उसने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए कई प्रयत्न किए, किन्तु श्री विष्णु की कृपा से भक्त प्रहलाद हर समय सुरक्षित ही लौटता था।

इसी बीच हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में भस्म नहीं हो सकती। होलिका अपने भाई की बात मानकर भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उसे अपनी गोद में लेकर जलती हुई चिता पर बैठ गयी। लेकिन यहाँ भी श्री हरी विष्णु ने भक्त प्रहलाद की रक्षा की और वो अग्नि से सुरक्षित बाहर आ गया और होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गयी। तभी से होली के दिन होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन से हमें यही संदेश मिलता है की आप ईश्वर की शरण में हैं तो कोई भी संकट आपको छू भी नहीं सकता।

होली का पहला दिन होलिका दहन

होली का पहला दिन होलिका दहन का दिन कहलाता है। इस दिन शाम के समय चौराहों पर, खेतों में और खुले मैदानों में लकड़ी और गोबर के उपले को एकत्र कर होलिका का दहन किया जाता है। इसमें लकड़ियाँ और उपले का प्रमुख रूप से उपयोग होता है। जलती हुई होली का सभी लोग पूजन करते हैं और अपने अंदर की बुराई को समाप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं। गांवो में लोग होली के गीत गाकर होलिका दहन करते हैं।

होलिका का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है। यह बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का सूचक है।

होली का दूसरा दिन रंगोत्सव

होली का दूसरा दिन एक दूसरे को रंग लगाने का होता है। यह दिन धुलेटी या धूलिवंदन भी कहलाता है। इस दिन लोग तरह-तरह के रंगों से खेलते हैं। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। गुलाल और रंगों से सबका स्वागत किया जाता है। बाज़ार रंगों और पिचकारियों से सज जाते हैं।

लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। इस दिन जगह-जगह लोगों की टोलियाँ एक दूसरे को रंग लगातीं हुई नाचती गाती हुईं दिखाई पड़तीं हैं। बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है। रंग खेलने के बाद देर दोपहर तक लोग नहाते हैं और शाम को नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं। प्रीति भोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

इस दिन घरों में खीर, पूरी और पूड़े जैसे तरह-तरह के सुंदर पकवान पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं।

होली (टीका टिप्पणी)

होली के दिन ज़्यादातर लोग केमिकल युक्त रंगों का प्रयोग करते हैं जो की शरीर के लिए बहुत हानिकारक होता है। अतः हमें केवल प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए। इसके साथ ही इस दिन पानी का व्यय भी बहुत किया जाता है अतः हमें यह ध्यान रखना चाहिए की पानी का हम व्यय ना करें।

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