in

जल प्रदूषण पर निबंध – Water Pollution Essay in Hindi

जल प्रदूषण निबंध | Water Pollution Essay in Hindi 

जल प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है और सभी को आज चाहिए की इसके बारे में गंभीर से विचार किए जाए और धरती के जल को प्रदूषित होने से बचाया जाए। जल प्रदूषण पर आज हम आपके लिए निबंध लेकर आए हैं ताकि आप भी जल प्रदूषण के बारे में जान सकें। 

जल प्रदूषण पर निबंध (200 शब्द)

जल को जीवन कहा जाता है और जीव सृष्टि को प्रकृति द्वारा दिया गया यह अनमोल उपहार है लेकिन जिस तरह से जल प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है उसे देख कर तो ऐसा लगता है जैसे आने वाले समय में हमारे लिए जल बचेगा ही नहीं। जी हाँ यह काल्पनिक बात नहीं, यह एक हकीकत है और इसे हकीकत बनाया है हम मानवों ने।

दुनिया में जल प्रदूषण एक विकराल समस्या बनती जा रही है और अगर इसे रोका ना गया तो कल हमारे लिए एक बूंद जल भी नहीं बचेगा। बढ़ते औद्योगीकरण का विषैला गंदा पानी नदियों में डालना , कूड़ा-कचड़ा, मल आदि की नदियों में निकासी, समुद्र में प्लास्टिक, तेल आदि को डालना जल प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। हम अपनी रोजिंदा जिंदगी में भी कहीं ना कहीं जल को प्रदूषित करते ही हैं।

आज भारत देश की ऐसी कोई नदी नहीं बची जो प्रदूषित ना हुई हो। हमने गंगा जैसी पवित्र नदी के जल को भी विषैला कर दिया है। सामान्य आदमी आज गंदा पानी पीने को मजबूर है और इसके लिए हम खुद ही जिम्मेदार हैं।

बढ़ते जल प्रदूषण को अगर रोका ना गया तो हमारी आने वाली पीढ़ी को पीने लायक एक बूंद जल भी नशीब नहीं होगा, इसलिए जागरूक बनें और जल प्रदूषण को रोकें।

जल प्रदूषण पर निबंध (400 शब्द)

पूरे विश्व के सामने आज जल प्रदूषण एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने खड़ा हो गया है। जिस प्रकार लगातार हम मानव जल के प्राकृतिक संसाधनों को प्रदूषित कर रहे हैं उसे देख कर तो ऐसा लगता है की हमारी आने वाली पीढ़ी को भारी जल संकट का सामना करना पड़ेगा, उन्हें पीने लायक एक बूंद पानी के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा।

जल प्रदूषण के लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार अगर कोई है तो वो है मानव जाति। विकास की अंधी दौड़ में हम प्रकृति का नाश कर रहे हैं। उद्योगों से निकलने वाला जहरीला केमिकल बिना रोक-टोक के नदियों में बहा दिया जाता है, कूड़ा-कचड़ा, मल, प्लास्टिक आदि कई चीजों की निकासी भी नदी, तालाब में कर दी जाती है। त्योहारों में भी प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों का विसर्जन कर हम नदियों को गंदा करते हैं।

सिर्फ नदियां ही नहीं मानव ने समुद्री जल को भी प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। समुद्र में हजारों टन कचड़ा व प्लास्टिक हर साल डाला जाता है और इसकी वजह से समुद्री जीव सृष्टि भी खतम हो रही है और साथ में बढ़ रहा है जल का प्रदूषण।

यदि समय रहते इस बढ़ते जल प्रदूषण को हमने नहीं रोका तो वो दिन दूर नहीं जब पूरी दुनिया में जल के स्त्रोत ही खतम हो जाएंगे। नदी, तालाब आदि सूख जाएंगे। आज हमारे अंदर जागरूकता की सबसे बड़ी जरूरत है।

बढ़ते जल प्रदूषण को अगर हमें रोकना है तो सबसे पहले उद्योगों की वजह से जो जल प्रदूषित होता है उस पर रोक लगाने की जरूरत है। ऐसे उद्योग बंद करने की जरूरत है जो नदियों को गंदा करते हैं। नदियों की साफ-सफाई का एक बड़ा अभियान हमें चलाना होगा। देश में आज गंगा सफाई का अभियान ज़ोरों पर है बस ऐसा ही अभियान हमें देश की सभी नदियों को बचाने के लिए शुरू करना होगा।

समुद्र में बढ़ते प्रदूषण को रोकना बहुत जरूरी है इसके लिए हमें चाहिए की समुद्र के आस-पास कोई भी कूड़ा-कचड़ा ना फेंके खास कर प्लास्टिक।

त्योहारों में हम मूर्ति विसर्जन करते हैं उस समय हमें सिर्फ मिट्टी से बनी और पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई गयी मूर्ति का ही विसर्जन करना चाहिए। नदियों में स्नान करने की परंपरा का मतलब यह नहीं की हम साबुन आदि का इस्तेमाल कर स्नान करें यह सोच हमें बलदनी होगी।

जरूरत जागरूकता की है, यदि हम मानव जो की इस धरती के सबसे समझदार प्राणी हैं, अगर जागरूक बन जाएँ और अपनी जिम्मेदारियों को समझें तो जल के प्रदूषण को रोका जा सकता है।

जल प्रदूषण पर निबंध (600 शब्द)

जल को जीवन कहा जाता है और धरती पर जीवन को टिकाये रखने में जल का बड़ा योगदान है, जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन आज धरती पर जल के लिए सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है और वो है जल प्रदूषण का संकट। जी हाँ, जल प्रदूषण जिस प्रकार से हमारी धरती के जल संसाधनों को प्रदूषित कर रहा  है उसे देख कर लगता है की आने वाले समय में कोई भी नदी, तालाब में हमें शुद्ध जल पीने को ही नहीं मिलेगा।

पूरी धरती पर हमारे उपयोग लायक जल मात्र 2-3% प्रतिशत ही है और ऐसे में बढ़ता जल प्रदूषण हमारे लिए आने वाला सबसे बड़ा संकट बन सकता है। आज लोगों को पीने लायक साफ पानी भी नसीब नहीं हो रहा है और इसका बड़ा कारण है बढ़ता जल प्रदूषण।

आखिर जल प्रदूषण का जिम्मेदार कौन है? जी हाँ, कोई और इसका जिम्मेदार नहीं है, बल्कि स्वयं हम मानव हैं जो विकास की ऐसी अंधी दौड़ में भाग रहे हैं की एक के बाद एक प्रकृति की सारी खूबसूरत चीज को हम नष्ट कर रहे हैं।

जल प्रदूषण के कई कारण हैं और सभी कारण हम मानवों से जुड़ें हैं –

उद्योग और कारखानों से हर साल गंदा केमिकल युक्त पानी नदी व तालाबों में बहा दिया जाता है। कारखानों से उत्पन्न कचरा भी नदियों में जाता है। बिना रोक-टोक के ये काम हो रहा है और प्रदूषित हो रही हैं हमारी नदियां। भारत की सबसे पवित्र नदी गंगा को भी इन उद्योगों ने नहीं छोड़ा है। आज गंगा का जल विष के समान हो गया है। सिर्फ गंगा नदी ही नहीं बल्कि भारत की सारी नदियां उद्योग, कारखानों के प्रदूषण से त्रस्त हैं।

त्योहारों के समय हजारों मूर्तियाँ नदियों और तालाबों में विसर्जित की जातीं हैं ये भी सबसे बड़ा कारण है नदी व तालाब के प्रदूषित होने का। नदियों में स्नान के नाम पर हम जिस प्रकार से नदियों के जल को गंदा करते हैं यह भी विचार करने वाली बात है।

नदियों व तालाबों में हरसाल हमारे द्वारा उत्पन्न किया गया प्लास्टिक का कचड़ा डाला जाता है, गटर आदि का गंदा पानी भी नदियों में बहाया जाता है ये भी सबसे बड़ा कारण है नदियों में बढ़ रहे प्रदूषण का।

नदियों की बात तो कर ली लेकिन हम मनुष्य जाती ने समुद्र के पानी को भी प्रदूषित कर दिया है। समुद्र में हर साल कई टन तेल बह जाता है जिसकी वजह से समुद्री जीव-सृष्टि पर बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है। समुद्र के किनारे हजारों सैलानी जमा होते हैं और वहाँ फैला जाते हैं ढेर सारा प्लास्टिक का कचड़ा। ये सारा कचड़ा समुद्र में जाता है और समुद्री जीवों के जीवन के लिए ससबे बड़ा संकट बन जाता है।

क्या हम जल प्रदूषण को नहीं रोक सकते? जी हाँ, रोक सकते हैं। लेकिन ये काम किसी एक व्यक्ति का नहीं, सभी का है। अगर सभी लोग अपनी ज़िम्मेदारी को समझ जाए तो हम इस जल प्रदूषण की समस्या को कम जरूर कर सकते हैं।

जल प्रदूषण को खतम करने के लिए जरूरत जागरूकता की है, ऐसे कड़े नियम व कानून बनाने की जरूरत है जो जल के प्रदूषण को रोकने में सहायक बनें। नदियों की सफाई के लिए हमें आगे आना होगा। नदियाँ हमारी जीवन डोरी हैं और हर नदी हमारे लिए महत्वपूर्ण है। एक बड़ा अभियान शुरू कर हमें नदी व तालाबों को साफ करना होगा।

समुद्र में बढ़ रहे जल प्रदूषण को कम करने के लिए उसके आस-पास किसी भी तरह का कचड़ा फेंकना नहीं चाहिए खासकर प्लास्टिक।

हमारी आने वाली पीढ़ी को पीने का साफ पानी मिल सके इसके लिए हमें आज से ही जल के प्रदूषण को रोकना होगा, तभी हम आने वाली पीढ़ी को एक अच्छा भविष्य दे पाएंगे।

जल प्रदूषण पर निबंध (900 शब्द)

किसी कवि ने कहा है हजारों प्रेम के बिना जीवित रह सकते हैं लेकिन जल के बिना एक भी जीवित नहीं रह सकता। ये हकीकत जानते हुये भी आज हम धरती की इस अमूल्य चीज को नष्ट कर रहे हैं उसे प्रदूषित कर रहे हैं। दुनिया में एकत्र होने वाला सारा गंदा पानी नदियों, तालाबों और समुद्र में बहा दिया जाता है।

जल प्रदूषण की इस बढ़ती समस्या ने हमारे स्वास्थ्य पर भी असर दिखाना शुरू कर दिया है। हर साल हजारों लोग, पशु, पक्षी जल प्रदूषण के कारण मर जाते हैं। धरती पर सिर्फ 2.5 प्रतिशत जल ही मीठा पानी है जो हमारे पीने लायक है। आने वाला समय भयंकर जल की कमी की समस्या को जन्म देने वाला होगा इसमें कोई संदेह नहीं।

जल प्रदूषण क्या है?

जल प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक पदार्थ जैसे की केमिकल युक्त रसायन, कूड़ा-कचड़ा और सूक्ष्म जीव आदि हमारी नदी, झील, महासागर, तालाब और पानी के अन्य स्त्रोतों को दूषित करते हैं, पानी की गुणवत्ता को कम करते हैं और इसे मनुष्यों और पर्यावरण के लिए विषैला बना देते हैं। इसे कहते हैं जल प्रदूषण।

पूरी दुनिया के लिए जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया है और इन सबका जिम्मेदार कोई और नहीं बल्कि हम मनुष्य ही हैं। जिस तरह से हम जल को प्रदूषित कर रहे हैं उस देखकर यही लगता है की आने वाले समय में कोई नदी, तालाब, झील बचेगी ही नहीं।

जल प्रदूषण का कारण

  • उद्योग-कारखानों से निकलने वाला गंदा केमिकल युक्त पानी नदी व तालाबों में बहा दिया जाता है और बन जाता है नदी का पानी जहरीला। आज गंगा जैसी पवित्र नदी भी इसके कारण गंदी हो चुकी है।
  • खेतों में इस्तेमाल किए जाने वाले कीट-नाशक, खाद आदि से धरती का भूगर्भ जल बड़े पैमाने पर दूषित हो रहा है। भूगर्भ जल हमारे लिए पानी का सबसे बड़ा स्त्रोत है लेकिन आज वो भी दूषित हो गया है।
  • हमारे द्वारा उत्पन्न कूड़ा-कचड़ा आदि भी नदी, तालाब आदि मे डाला जाता है वो भी एक कारण है।
  • त्योहारों के समय मूर्तियों का विसर्जन, धार्मिक क्रियाएँ आदि की वजह से नदियों को खूब प्रदूषित किया जाता है।
  • समुद्रों के किनारे प्लास्टिक आदि कूड़ा-कचड़ा डालने से समुद्र का जल भी दूषित हो गया है जिसकी वजह से समुद्री जीव-सृष्टि पर एक बड़ा संकट पैदा हो गया है। समुद्र में तेल की रिफाइनरी से तेल का बहना भी एक बड़ा कारण है महासागर में उत्पन्न प्रदूषण के लिए।
  • शहरों में गटर के पानी ल निकास भी नदियों में कर दिया जाता है।
  • जागरूकता के अभाव में हम रोजाना अपनी जिंदगी में कहीं ना कहीं किसी नदी या तालाब आदि को प्रदूषित कर ही रहे हैं।

जल प्रदूषण से स्वास्थ्य पर असर

जल प्रदूषण हर साल हजारों मौतों का कारण बनता है। दूषित पानी भी आपको बीमार कर सकता है। हर साल, प्रदूषित पानी लगभग 1 बिलियन लोगों को बीमार करता है। कम आय वाले गरीब वाले लोगों को इसका बहुत अधिक जोखिम है क्योंकि उनके घर अक्सर सबसे अधिक प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के करीब होते हैं।

दूषित पानी से फैलने वाली बीमारियों में हैजा, जियार्डिया, त्वचा रोग और टाइफाइड शामिल हैं। बच्चे खास कर ऐसा दूषित पानी पीने से प्रभावित होते हैं।

जल प्रदूषण से पर्यावरण पर असर

सिर्फ मानव ही नहीं बल्कि हमारे पर्यावरण पर भी जल प्रदूषण का बहुत बुरा असर पड़ा है। धरती पर जो जीवन चक्र है उसमें सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं इसलिए जब किसी एक पर असर पड़ता है तो अन्य सभी पर भी प्रभाव पड़ता है।

नदियों में बढ़ते प्रदूषण के कारण जलीय जीव, पेड़-पौधे भी नष्ट हो रहे हैं। समुद्र में जीव सृष्टि के जीवन पर बड़ा प्रश्न-चिन्ह लग गया है। वन्य जीवों के लिए भी पीने लायक साफ पानी नहीं है उन्हें भी दूषित पानी पीना पड़ता है इसलिए उनका जीवन भी खतरे में पड़ गया है। एक तरह से कहा जाए तो इस धरती पर जल पर आधारित सभी जीव आज खतरे में है।

जल प्रदूषण को रोकने के उपाय

जल प्रदूषण पर किसी और को दोष देना बड़ा आसान है, लेकिन हम सभी आज की जल प्रदूषण समस्या के लिए कुछ हद तक जवाबदेह हैं। सौभाग्य से, कुछ सरल तरीके हैं जिनसे आप पानी को दूषित होने से रोक सकते हैं या इसके बढ़ते प्रभाव को सीमित कर सकते हैं:

  • प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें और जिस प्लास्टिक की चीज का आप दुबारा उपयोग कर सकते हैं तो उस प्लास्टिक का पुन: उपयोग करें। जैसे की प्लास्टिक की थैली आदि।
  • रसायन, तेल, और गैर-बायोडिग्रेडेबल वस्तुओं का उचित निपटान करें ताकि उन्हें नाली के जरिये नदियों में बहने से रोका जा सके।
  • खेतों में कीटनाशकों का उपयोग ना करें या कोशिश करें की इसकी वजह से भूगर्भ जल दूषित ना हो।
  • ऐसे उद्योग-कारखानों पर कार्यवाही हो जो गंदा पानी नदी व नालों में डालते हों।
  • समुद्र के किनारे साफ-सफाई रखना। प्लास्टिक आदि को समुद्र किनारे नहीं फेंकना चाहिए।
  • नदियों की सफाई का अभियान शुरू करना। देश में जिस तरह से गंगा सफाई पर काम हो रहा है उसी तरह से सभी नदियों की सफाई का काम होना चाहिए।
  • त्योहारों के समय केवल मिट्टी की मूर्तियों का विसर्जन हमें करना चाहिए। नदियों में हम किसी भी तरह की गंदगी ना करें यह ध्यान रखना चाहिए।
  • शहरों में गटर के पानी के निकाल की सही व्यवस्था होनी चाहिए।
  • नदी, तालाब, समुद्र आदि हमारी धरोहर है अतः ऐसे कड़े नियम व कानून बनाने की जरूरत है जो की लोगों को इन्हें प्रदूषित करने से रोकें।

धरती पर हम मनुष्य ही सबसे समझदार प्राणी हैं इसलिए यह हमारी ज़िम्मेदारी है की प्रकृति की इस अमूल्य भेंट को हम नष्ट होने से बचाएं। हमें जागरूक बनना होगा और यह समझना होगा की जल है तभी हमारा आस्तित्व इस धरती पर है – यही सोच रख कर हमें जल प्रदूषण के खिलाफ एक मुहिम शुरू करनी होगी।

संबन्धित लेख:

One Comment

Leave a Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

search engine kya hai

Search Engine क्या है और कैसे काम करता है

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध environmental pollution Essay In Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | environmental pollution Essay In Hindi