मकर संक्रान्ति निबंध | Makar Sankranti Essay In Hindi
मकर संक्रान्ति पर्व को उत्तरायण, पोंगल, लोहड़ी, बिहू आदि नामों से भी मनाया जाता है। भारत देश में इस पर्व को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। सबके मनाने का तरीका भले ही अलग हो लेकिन जिस प्रेम और उत्साह के इस पर्व को लोग मनाते हैं वो देखने लायक होता है।
Makar shankrani hindi esssay in 200, 400 and 600 words for students.
मकर संक्रान्ति पर निबंध (200 शब्द)
जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति के पर्व को मनाया जाता है, यह पर्व हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस पर्व को प्रति वर्ष जनवरी के मास में 14 या 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है।
मकर संक्रांति को भारत भर में अलग – अलग नाम से और अलग – अलग रीत-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। गुजरात में इसे उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है, तो वहीं उत्तर प्रदेश और पूर्वी भारत में इसे मकर संक्रांति के रूप में मनाते हैं, आंध्रप्रदेश, केरल और कर्नाटक में इसे सिर्फ संक्रांति कहा जाता है और तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है। पंजाब और हरियाणा में यह पर्व लोहड़ी के नाम से मनाया जाता है, जबकी असम में बिहू नाम से यह पर्व मनाया जाता है।
इतनी भिन्नताओं के साथ इस पर्व को पूरे देश में अलग -अलग विधि विधानों के साथ मनाया जाता है।
इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। किसान भाई अपनी नयी फसल आने की खुशी में यह त्योहार मनाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन देश के अनेक भागों में लोग रंग-बिरंगी पतंगों को भी उड़ाते हैं और एक दूसरे को बधाई संदेश भेजकर खुशियाँ बांटते हैं।
मकर संक्रान्ति पर निबंध (400 शब्द)
मकर संक्रांति हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है और हर वर्ष 14 या 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है। भूगोल की दृष्टि से देखा जाए तो जब सूर्य उत्तरायन होकर मकर रेखा पर आता है तब 14 जनवरी का दिन होता है अतः इसे देश के कई भागों में उत्तरायण भी कहते हैं। ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है तब मकर संक्रांति को मनाया जाता है।
भारत के अलग-अलग भागों में मकर संक्रांति
भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रान्ति को अलग-अलग नाम से जाना जाता है और इस पर्व को मनाने का तरीका भी अलग-अलग होता है। कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं, जबकि तमिलनाडु में इसे पोंगल पर्व के रूप में मनाया जाता है, तो वहीं पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और लोहड़ी पर्व मनाया जाता है, वहीं असम में बिहू के रूप में इस पर्व को उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व भारतवर्ष तथा नेपाल के सभी प्रान्तों में अलग-अलग नाम व भाँति-भाँति के रीति-रिवाजों द्वारा भक्ति एवं उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के पर्व में दान और स्नान का बड़ा महत्व है। इस दिन श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करते हैं साथ ही तिल, गुड़, खिचड़ी, फल आदि का दान कर पुण्य प्राप्त करते हैं। हमारे किसान भाइयों के लिए मकर संक्रांति का दिन नयी फसल के आने की खुशी का दिन होता है अतः वे नयी फसल के स्वागत के रूप में इस पर्व को मनाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन चयन किया था।
धार्मिक क्रियाओं के अलावा इस दिन पतंग उड़ाने का भी विशेष महत्व होता है और लोग बेहद आनंद और उल्लास के साथ पतंगबाजी करते हैं। इस दिन गुजरात जैसे कई भागों में रंग-बिरंगी पतंगों को आकाश में उड़ाकर लोग इस त्योहार को मनाते हैं।
मकर संक्रान्ति पर निबंध (600+ शब्द)
मकर संक्रान्ति का पर्व हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है और पूरे भारत में इस त्योहार को अलग-अलग रीत-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। ज्योतिष की माने तो जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश करता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो जब सूर्य मकर रेखा में आता है तब वह दिन 14 जनवरी का दिन होता है। देश के अलग-अलग भागों में यह पर्व 14 और 15 जनवरी के दिन मनाया जाता है।
भारत में मकर संक्रान्ति के अलग-अलग नाम
मकर संक्रान्ति को भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न रीत रिवाजों से मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी के नाम से मनाते हैं तो वहीं तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव के रूप में मनाते हैं जबकि कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति ही कहते हैं।
गुजरात में इसे उत्तरायण के रूप में मनाते हैं तो असम में इसे बीहू के नाम से मनाते हैं। भारत के पंजाब और हरियाणा में इस समय नई फसल का स्वागत किया जाता है और इस पर्व को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।
भारत में मकर संक्रान्ति का पर्व
हरियाणा और पंजाब में मकर संक्रान्ति को लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोग रात में आग जलाकर अग्नि की पूजा करते हैं और साथ में तिल गुड, चावल और मक्के की आहुती दी जाती है। इस अवसर पर लोहड़ी के गीत गाकर लोग नयी फसल आने की खुशी मनाते हैं।
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रान्ति के दिन दान करने का बड़ा महत्व होता है। इलाहाबाद के संगम पर इस दिन माघ मेला लगता है जिसमें स्नान करने का बड़ा महत्व होता है। इस दिन गंगा स्नान करके तिल के मिष्ठान आदि को ब्राह्मणों व पूज्य व्यक्तियों को दान दिया जाता है। उत्तर प्रदेश में इस दिन खिचड़ी खाने एवं खिचड़ी दान देने का अत्यधिक महत्व होता है।
बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाता हैं। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि का दान कर लोग इस पर्व को मनाते हैं।
महाराष्ट्र में इस दिन लोग एक दूसरे को तिल गुड़ बांटते हैं, सूर्य की पूजा करते हैं और पतंग उड़ाते हैं।
बंगाल में मकर संक्रान्ति के दिन गंगासागर में विशाल मेला का आयोजन किया जाता है जिसमें लाखों की भीड़ स्नान करने के लिए इकट्ठा होती है। इस दिन लोग तिल का दान भी करते हैं।
तमिलनाडु में यह पर्व पोंगल के नाम से जाना जाता है जो की चार दिन तक मनाया जाता है। पोंगल के दिन मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है जिसे पोंगल कहते हैं। यह खीर प्रसाद के रूप में सभी को ग्रहण कराई जाती है।
असम में मकर संक्रान्ति को माघ-बिहू अथवा भोगाली-बिहू के नाम से मनाते हैं।
गुजरात में यह पर्व उतरायण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग दान करते हैं, सूर्य की पूजा करते हैं और आकाश में पतंग उड़ाते हैं।
मकर संक्रान्ति का महत्व
मकर संक्रान्ति का दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाओं के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है इस दिन दिया गया दान कई गुना बढ़कर हमें पुनः प्राप्त होता है। मकर संक्रान्ति के दिन किया गया स्नान और दिया गया दान अत्यन्त शुभ माना गया है।
सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। मकर संक्रान्ति के दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं, शनि मकर राशि के स्वामी हैं अतः इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति के दिन का ही चयन किया था अतः इस पर्व का हमारे पुराणों में भी महत्व बताया गया है।