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रक्षाबंधन पर निबंध – Raksha Bandhan Essay in Hindi

रक्षाबंधन पर हिन्दी निबंध  | RakshaBandhan Hindi essay

स्कूल और कॉलेज में रक्षाबंधन पर अक्सर निबंध पूछा जाता है। यहाँ हम आपके लिए 300, 400,600 और 1000 Words में रक्षाबंधन पर निबंध लेकर आए हैं। 

रक्षाबंधन पर निबंध (150 शब्द) 

भाई-बहन के बीच पवित्र रिश्ते और स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। रक्षाबंधन का पर्व हर वर्ष श्रावण (सावन) के महीने में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
रक्षाबंधन के दिन खास मुहूर्त के समय बहन अपने भाई को टीका करती है और उसकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है जिसे राखी कहते हैं तो वहीं भाई भी अपनी बहन को उपहार देता है और बहन की रक्षा करने का वचन देता है।

इस दिन पूरा परिवार एक ही छत के नीचे इकट्ठा होता है और बड़ी धूम-धाम के साथ एक-दूसरे के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।  भारत देश में ही नहीं विश्व के हर देश में जहां भी भारतीय निवास करते हैं वहाँ रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।

रक्षाबंधन का दिन भाई और बहन के लिए विशेष होता है। इस दिन दोनों अपने पवित्र रिश्ते को और मजबूत करने की कसम खाते हैं और एक दूसरे के लिए मंगल कामना करते हैं।

रक्षाबंधन का त्योहार (400 शब्द) 

भाई-बहन के बीच अटूट और पवित्र प्रेम को समर्पित रक्षाबंधन का त्योहार हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हर साल श्रावण के महीने में आता है। रक्षाबंधन के त्योहार के पूर्व ही बाज़ार में तरह-तरह की सुंदर राखियों की बिक्री शुरू हो जाती है। बहनें अपने भाइयों के लिए तरह-तरह की राखियाँ खरीदतीं हैं।

रक्षाबंधन के दिन शुभ मुहूर्त पर बहन अपने भाई के माथे पर टीका करती है, उसकी आरती करती है और भाई की कलाई पर राखी बांधती है। बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देता है।

ऐसा कहा जाता है बहन जो राखी अपने भाई की कलाई पर बांधती है वो रक्षा सूत्र का काम करती है और भाई की हर संकट से रक्षा करती है। राखी को बांधकर बहन अपने भाई से यह वचन भी लेती है की वो हमेशा उसकी रक्षा करेगा।

रक्षाबंधन के दिन पूरा परिवार एक होता है और एक साथ मिलकर इस त्योहार को हर्ष-उल्लास के साथ मनाते हैं। इस दिन स्कूलों में भी छुट्टी होती है।

रक्षाबंधन को मनाने के पीछे कई धार्मिक कथाएँ जुड़ीं हुई है जिनमें राजा बली और माता लक्ष्मी की कथा विशेष रूप से याद आती है।

जब भगवान श्री विष्णु वामन अवतार धारण कर राजा बली से तीनों लोकों का आधिपत्य दान में ले लेते हैं तब बली भगवान विष्णु से याचना करते हैं की – हे प्रभु मेरा सबकुछ मैंने दान कर दिया है अब मुझ पर एक कृपा करें की आप भी मेरे साथ पाताल आकर निवास करें। श्री विष्णु राजा बली की याचना स्वीकार कर लेते हैं और पाताल में निवास करने लगते हैं।

इस बात से माता लक्ष्मी परेशान हो जातीं है। माता लक्ष्मी राजा बली के पास जातीं हैं और उन्हें रक्षा सूत्र बांधतीं है। राजा बली माता लक्ष्मी से कुछ मांगने के लिए कहता है तब माँ लक्ष्मी अपने मूल स्वरूप में आकर श्री विष्णु को अपने साथ ले जाने के लिए कहतीं हैं। राजा बली माता लक्ष्मी की मांग को स्वीकार कर लेता है और श्री विष्णु को पाताल से ले जाने की अनुमति देता है।

ऐसा कहा जाता है तभी से राखी के इस त्योहार को मनाया जाता है। रक्षाबंधन सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु नेपाल और जहां भी हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं वहाँ बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। भाई बहन के बीच पवित्र प्रेम को दर्शाता यह राखी का त्योहार हमारी महान संस्कृति और विरासत को दर्शाता है।

रक्षाबंधन निबंध (600 शब्द)

हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले त्योहारों में से रक्षाबंधन का त्योहार मुख्य है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच पवित्र प्रेम और स्नेह का प्रतीक है और भाई-बहन को समर्पित है। इस दिन स्कूलों में छुट्टी होती है इसलिए बच्चों में काफी उत्साह होता है। रक्षाबंधन को राखी का त्योहार भी कहा जाता है।

रक्षाबंधन के पूर्व ही बाज़ार तरह-तरह की राखियों से सज जाते हैं। बहनें अपने भाइयों के लिए राखी की खरीदी करतीं हैं, इस दिन लोग नए कपड़े व मिठाइयाँ खरीदते हैं।

रक्षाबंधन के दिन एक खास मुहूर्त के समय ही बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तिलक करती है और उसकी आरती करती है। भाई भी अपनी बहन को उपहार देता है। बहन के द्वारा बांधा गया रक्षा सूत्र भाई को हर संकट से बचाता है। इस दिन भाई भी अपनी बहन को रक्षा करने का वचन लेता है।

इस दिन काफी चहल-पहल होती है क्यूंकी सभी एक-दूसरे के घर जाकर बधाई देते हैं और राखी बंधवाते हैं।

हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन को मनाने के पीछे कई कथाएँ जुड़ीं हुईं हैं, इससे ये पता चलता है की इस त्योहार की कितना धार्मिक महत्व है।

माता लक्ष्मी और राजा बली की कथा

वामन अवतार लेकर जब श्री विष्णु तीनों लोकों को नाप लेते हैं तब राजा बली हाथ जोड़कर प्रार्थना करता है की हे प्रभु, मैंने अपना सब कुछ दान कर दिया है अब मुझ पर एक कृपा करे वो ये की आप भी मेरे साथ पाताल में निवास करें। श्री विष्णु बली की इस प्रार्थना की स्वीकार कर लेते हैं और पाताल में निवास करने लगते हैं।

माता लक्ष्मी इस बात से व्यथित होकर राजा बली के पास भेष बदलकर जातीं हैं और बली की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधतीं हैं। राजा बली माता लक्ष्मी से कुछ मांगने के लिए कहता है तब माता लक्ष्मी अपने मूल रूप मे आकर राजा बली से भगवान श्री विष्णु को पाताल से ले जाने की अनुमति मांगतीं है।

राजा बली भी माता लक्ष्मी को इसकी अनुमति दे देता है। ऐसा कहा जाता है जब माता लक्ष्मी ने राजा बली को रक्षा सूत्र बांधा था उस समय श्रावण का महिना था। उसी समय से बहन अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है।

श्री कृष्ण और द्रौपदी की कथा

पांडवों के राजसूय यज्ञ में सम्मिलित जब शिशुपाल 100 से ज्यादा अपशब्द भगवान श्री कृष्ण को कहता है तब श्री कृष्ण अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर देते हैं। उस समय श्री कृष्ण की उंगली चक्र से थोड़ी कट गयी थी। जब द्रौपदी ने यह देखा तो तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली पर बांध दिया, भगवान कृष्ण ने उस समय द्रौपदी से कहा था की वो एक दिन इसका ऋण अवश्य चुकाएंगे।

इसके बाद जब भरी सभा में दुशासन द्रौपदी का चीर हरण कर रहा था तब श्री कृष्ण ने चीर को बढ़ाकर द्रौपदी की लाज रखी थी।

ऐसा कहा जाता है जब द्रौपदी ने श्री कृष्ण की कलाई में साड़ी का पल्लू बांधा था उस समय श्रावण पूर्णिमा थी। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।

रक्षाबंधन से जुड़ी एक कथा में वृत्तासुर से युद्ध के समय इंद्र की पत्नी सची अपने पति इंद्र की रक्षा के लिए एक विशेष रक्षा सूत्र बांधती है। उस युद्ध में इंद्रा की विजय होती है।

ऐसी ही ना जाने की कितनी ही कथाएँ रक्षाबंधन के पर्व से जुड़ीं हैं जो ये दर्शाती हैं की बहन के इस रक्षा सूत्र में कितनी शक्ति है और इसका कितना महत्व है एक भाई के लिए।

रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में जहां-जहां हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं वहाँ मनाया जाता है। हर वर्ष मनाया जाने वाला रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को उजागर करता है।

रक्षाबंधन का त्योहार निबंध (1000 शब्द) 

प्रस्तावना

रक्षाबंधन यानि रक्षा का बंधन – एक ऐसा रक्षा सूत्र जो भाई को हर संकट से बचाता है। रक्षाबंधन हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भाई-बहन के बीच स्नेह और पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। भारत ही नहीं, विश्व के कई देशों में यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को राखी यानि की रक्षा सूत्र बांधती है और भाई भी अपनी बहन को ये वचन देता है की वो हमेशा उसकी रक्षा करेगा।

कैसे मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन के कुछ दिन पूर्व ही सभी बाज़ार रंग-बिरंगी राखियों से सज जाते हैं। बहनें अपने भाइयों के लिए तरह-तरह की डिज़ाइन की राखियाँ खरीदतीं हैं, कुछ बहनें चांदी की राखी भी खरीदतीं है। तरह-तरह की मिठाइयाँ बाज़ार में आ जातीं है।

घर के सभी सदस्य बाज़ार जाकर अपने लिए नए-नए कपड़े खरीदते हैं, मिठाइयाँ खरीदते हैं। स्कूलों में छुट्टी होती है तो बच्चों में खास उत्साह देखने को मिलता है।

रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का खास मुहूर्त होता है। उस खास मुहूर्त के समय बहन-भाई अच्छे से तैयार होते हैं। सबसे पहले बहन भाई की आरती करती है, तिलक करती है और दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधती है। बदले में भाई भी अपनी बहन को विशेष उपहार देता है और मन ही मन उसकी रक्षा करने का वचन भी लेता है।

इसके बाद परिवार के सभी लोग एक दूसरे को बधाई देते हैं और अपने परिजनों के घर जाकर बधाई देते हैं और साथ में खुशियाँ बांटते हैं। रक्षाबंधन के पूरे दिन चहल पहल का माहौल रहता है।

जिन भाइयों के बहन नहीं होती या जिन बहनों का भाई नहीं होता वो भी किसी ना किसी को अपना भाई या बहन मानकर राखी के त्योहार को मनाते हैं।

रक्षाबंधन से जुड़ी धार्मिक कथाएँ

रक्षाबंधन को क्यूँ मनाया जाता है इसके पीछे कई दृष्टांत सुनने को मिलते हैं। ये सभी दृष्टांत रक्षाबंधन के रक्षा सूत्र के महत्व की दर्शाते हैं। इन कथाओं में कोई भी सगा भाई-बहन नहीं हैं लेकिन रक्षा सूत्र को बांधने के बाद किस प्रकार वो रक्षा सूत्र रक्षण करता है वो इन कथाओं में देखने को मिलता है।

राजा बली और माता लक्ष्मी का रक्षाबंधन

राजा बली बहुत बड़ा दानी था किन्तु उसने तीनों लोकों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर रखा था। श्री हरी विष्णु ने वामन का अवतार धारण कर राजा बली से तीनों लोक दान में ले लिए। अब बली ने श्री विष्णु से याचना की – हे प्रभु मुझ पर एक कृपा करें, आप भी मेरे साथ पाताल चलकर निवास करें।

श्री विष्णु बली से प्रसन्न होकर उसकी विनंती स्वीकार कर लेते हैं और पाताल में आकर निवास करने लगते हैं।

इस बात से व्यथित होकर माता लक्ष्मी श्री विष्णु को वापस लाने के लिए भेष बदलकर बली के पास जातीं हैं और बली के हाथ में रक्षा सूत्र बांधतीं हैं। राजा बली माता लक्ष्मी से कुछ मांगने के लिए कहते हैं, तब माँ लक्ष्मी अपने मूल रूप में आतीं हैं और राजा बली से श्री विष्णु को पाताल से ले जाने की अनुमति मांगतीं हैं।

अपने दानी स्वभाव के लिए प्रख्यात बली माँ लक्ष्मी की बात मान लेते हैं और श्री विष्णु को ले जाने की अनुमति दे देते हैं। ऐसा कहा जाता है इस घटना के समय सावन का मास था।

श्री कृष्ण और द्रौपदी का रक्षाबंधन

इंद्रप्रस्थ में जब पांडव राजसूय यज्ञ करा रहे थे उस समय शिशुपाल ने श्री कृष्ण को कई अपशब्द कहे थे और जब शिशुपाल अपने अपशब्दों की सीमा को लांघ गया तो श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया।

सुदर्शन चक्र के कारण श्री कृष्ण की एक उंगली से रक्त बहने लगा था। जब द्रौपदी ने ये देखा तो उसने तुरंत अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्री कृष्ण के हाथ पर बांध दिया। भगवान श्री कृष्ण ने उस समय द्रौपदी को यह वचन दिया था की वो एक दिन इसका ऋण अवश्य चुकाएंगे।

भरी सभा में जब द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी के चीर को बढ़ाकर उसकी लाज रखी थी। ऐसा कहा जाता है जब द्रौपदी ने श्री कृष्ण के हाथ में साड़ी का पल्लू बांधा था उस समय सावन का महिना था।

महाभारत के युद्ध की समय की घटना

महाभारत के युद्ध के समय जब युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा की वो किस प्रकार से युद्ध में आने वाले हर संकट का सामना करेंगे, तब श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एक मार्ग बताया- उन्होने युधिष्ठिर से कहा की तुम अपने सभी सैनिकों की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांध दो। वो रक्षा सूत्र उनके प्राणो की रक्षा करेगा।

युधिष्ठिर ने ऐसा ही किया और सभी  सैनिकों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांध दिया। ऐसा कहा जाता है यह घटना भी सावन के महीने में घटित हुई थी और महाभारत के युद्ध में पांडवों की विजय में उस रक्षा सूत्र का खास योगदान था।

देवराज इन्द्र और पत्नी सची की कथा

वृत्तासुर से युद्ध करने के पूर्व देवराज इंद्र की पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए विशेष मंत्रोच्चार से एक रक्षा सूत्र तैयार किया था और वो सूत्र उन्होने अपने पति इन्द्र की कलाई पर बांधा था। इसके बाद वृत्तासुर के साथ युद्ध में इन्द्र की विजय हुई थी। ऐसा कहा जाता है उस समय भी श्रावण का महिना था।

हुमायूँ और रानी कर्णावती का रक्षाबंधन

चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती ने मुगल शासक बहादुर शाह से अपनी और प्रजा की रक्षा के लिए हुमायूँ को रक्षा सूत्र भेजा था। उस समय हुमायु ने उस रक्षा सूत्र की खातिर रानी कर्णावती की रक्षा की थी।

उपसंहार

रक्षाबंधन विशेष रूप से भाई और बहन के बीच आपसी प्रेम को उजागर करता है। हर वर्ष आने वाला यह त्योहार हर भाई को उसकी बहन के प्रति कर्तव्य को याद दिलाता है। बहन के लिए भी ये दिन काफी खास होता है। रक्षाबंधन का त्योहार हमारे देश की संस्कृति, सभ्यता और परम्पराओं को दर्शाता है और ये बताता है की हमारे यहाँ रिश्तों का कितना महत्व है।

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